Dadasaheb Phalke Death Anniversary : भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहेब फाल्के के नाम से बॉलीवुड को काफी सम्मान मिला है. दादा साहेब फाल्के को फिल्म बनाने का इतना शौक था की उन्होंने अपनी पत्नी तक की गहने गिरवी पख दिये थे. इसके अलावा फिल्म के लिए जब हिरोइन नही मिली तो रेड लाइट एरिया तक चले गए थे. आज उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं इसी से जुड़ा खास किस्सा.
फिल्म बनाने की तकनीक
धुंडिराज गोविंद फाल्के यानि का दादा साहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को हुआ था. उनके पिता का नाम गोविंद सदाशिव फाल्के था, जो मंदिर में पुजारी के साथ-साथ संस्कृत के विद्धान भी थे. उन्होंने लंदन से फिल्म बनाने का तरीका सीखा था. जिसके बाद वे देश लौटे और अपनी पहली फीचर फिल्म बनाने की तैयारी शुरू की.
फिल्म बनाने का संघर्ष
दादा साहेब फाल्के ने अपनी पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाने के लिए काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. लेकिन उन्होंने बिना हार माने फिल्म को बनाया. अपनी पत्नी सरस्वती बाई के गहने गिरवी रखकर फिल्म बनाने के लिए पैसे गिरवी रखे थे. फिल्म के लिए उन्होंने अभिनेता की तलाश शुरू की जिसके कलाकार उनको आसानी से मिल गए लेकिन महिला कालाकार मिलने में उनको काफी सारी दिक्कतें आई. जब उनको महिला कालाकार नही मिला तो वो मुंबई के रेड लाइट एरिया चले गए और वहां की औरतों को फिल्म में काम करने का ऑफर दिया. जिसके बाद औरतों ने पूछा कि कितने पैसे मिलेंगे. जिसके बाद दादा साहेब फाल्के ने जो जवाब दिया, उसे सुनकर औरतें बोली की जितना आप पैसे दे रहे हैं उतना तो हम एक रात में ही कमा लेते हैं.
इस लड़के ने निभाई तारामती की भूमिका
महिलाओं का जवाब सुनने के दादा साहेब लगातार तलाश करते रहे. एक दिन होटल में चाय पीते वक्त एक लड़के को देखा जिसके बाद उन्होंने उस युवा को तारामती का किरदार दिया. राजा हरिश्चंद्र फिल्म का बजट 15 हजार रुपए था और इसे बनाने में लगभग छह महीने लगे थे.
इतनी फिल्में बनाईं
उनका फिल्मी करियर करीब 19 साल तक रहा जिसमें उन्होंने 95 फीचर फिल्में और 27 शार्ट फिल्मे बनाई थी. वो अच्छे निर्देशक के साथ ही निर्माता और स्क्रीन प्ले राइटर भी थे.