Farmers March: देश के किसान एक बार फिर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने वाले हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा बातचीत के लिए कोई निमंत्रण ना मिलने के बाद रविवार को फिर से शंभू बॉर्डर से मार्च शुरू करने की घोषणा की है. किसान यूनियनों द्वारा सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और किसानों के लिए अन्य कई मांगे की जा रही है.
शंभू बॉर्डर से रविवार की दोपहर 101 किसानों का एक समूह जिन्हें “मरजीवदास” (अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार) कहा गया है, राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का एक और प्रयास करेंगी. इस समूह में किसान और कई नेता भी शामिल है. इससे पहले भी शुक्रवार को किसानों द्वारा बॉर्डर पार करने की कोशिश की गई थी. हालांकि हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग और आंसूगैस के गोले छोड़े जाने के बाद वो इस मार्च को पूरा नहीं कर पाए थे.
किसानों द्वारा शुक्रवार को निकाले गए मार्च में 15 किसान घायल हो गए थे. जिसके बाद मार्च को 48 घंटे के लिए रोक दिया गया था. शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एसकेएम के संयोजक सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि किसानों द्वारा बातचीत के लिए केंद्र सरकार के निमंत्रण का इंतजार किया गया लेकिन हमें कोई निमंत्रण नहीं मिला. जिसके कारण हम फिर से एक बार राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने की कोशिश करेंगे. इस बार भी हमारे किसान पैदल और बिना सुरक्षा के ही बॉर्डर पार करेंगे. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जब सभी किसान को शंभू बैरियर पर रोका गया था तो उन्होंने अपना मांगपत्र हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सौंप दिया था. हरियाणा पुलिस अधिकारियों द्वारा तब उन्हें बताया गया था कि वे बातचीत के लिए मांगपत्र केंद्र को भेजेंगे. बाद में अंबाला में धारा 163 लागू कर दिया गया.
किसानों द्वारा अंबाला में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 लगाए जाने के खिलाफ सवाल उठाया जा रहा हैं. जिसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर मनाही है. किसान नेता गुरमनीत मंगत ने कहा कि अंबाला प्रशासन ने बीएनएसएस की धारा 163 का हवाला दते हुए किसानों को आगे बढ़ने से रोक दिया जबकि संगीतमय रातें जहां सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए, बिना किसी प्रतिबंध के आयोजित की गईं. उन्होंने कहा कि बीएनएसएस की धारा 163 के कार्यान्वयन का अंबाला प्रशासन द्वारा चुनिंदा रूप से उपयोग किया जा रहा है. बीएनएसएस की धारा 163 को लागू करने के पीछे एकमात्र कारण किसानों को आगे बढ़ने से रोकना है.