केरल के दिग्गज नेता वी.एस. अच्युतानंदन का निधन, 101 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

वी.एस. अच्युतानंदन केरल में कम्युनिस्ट आंदोलन के मजबूत स्तंभ थे. उन्होंने दशकों तक राज्य की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाई. स्वतंत्रता सेनानी और जुझारू नेता के रूप में उनकी पहचान थी.

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Courtesy: Social Media

VS Achuthanandan Passed Away: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कम्युनिस्ट आंदोलन के दिग्गज नेता वी.एस. अच्युतानंदन का आज यानी 21 जुलाई को 101 वर्ष के उम्र में निधन हो गया. उन्होंने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला.

वी.एस. अच्युतानंदन केरल में कम्युनिस्ट आंदोलन के मजबूत स्तंभ थे. उन्होंने दशकों तक राज्य की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाई. स्वतंत्रता सेनानी और जुझारू नेता के रूप में उनकी पहचान थी. वे पर्यावरण, लैंगिक समानता और वंचितों के हक के लिए लड़े.

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

अलाप्पुझा के पुन्नपरा में एक गरीब कृषि मजदूर परिवार में जन्मे अच्युतानंदन ने कठिन जीवन जिया. कम उम्र में माता-पिता को खो दिया. 16 साल की उम्र में वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए. कम्युनिस्ट नेता पी. कृष्ण पिल्लई उनके गुरु बने. उन्होंने कुट्टनाड में खेतिहर मजदूरों और फैक्ट्री कर्मचारियों को संगठित किया. 1946 में अच्युतानंदन पुन्नपरा-वायलार विद्रोह में सक्रिय थे. औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ यह आंदोलन ऐतिहासिक था. उन्हें गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने उन्हें यातनाएं दीं. संगीन से पैरों में घाव किए गए. एक समय के लिए उन्हें मृत समझा गया, लेकिन एक कैदी ने उनकी जान बचाने में काफी मदद की.

कम्युनिस्ट पार्टी में योगदान

अच्युतानंदन ने 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की स्थापना में भूमिका निभाई. आपातकाल में उन्हें जेल भेजा गया. माकपा के राज्य सचिव के रूप में उन्होंने काम किया. 2009 में पार्टी के अनुशासन तोड़ने के लिए पोलित ब्यूरो से निष्कासित हुए. फिर भी, वे जनता के बीच लोकप्रिय रहे. अच्युतानंदन ने वंचितों के लिए आवाज उठाई. आर्द्रभूमि संरक्षण, नर्सों का वेतन, ट्रांसजेंडर अधिकार और मुफ्त सॉफ्टवेयर जैसे मुद्दों पर वे डटकर लड़े.

उनकी सादगी और साहस ने उन्हें जननेता बनाया. माकपा नेता पीरप्पनकोड मुरली ने उन्हें स्टालिन और चे ग्वेरा जैसे कम्युनिस्ट नेताओं की कड़ी में रखा. नास्तिक अच्युतानंदन के विचार स्पष्ट थे. मुख्यमंत्री रहते एक छात्र ने उनके पसंदीदा हिंदू देवता के बारे में पूछा. उन्होंने जवाब दिया, “देवताओं की कहानियां आकर्षक हैं, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि वे किस लोक में रहते हैं.” यह उनकी तर्कशीलता को दर्शाता है. 2019 में स्ट्रोक के बाद अच्युतानंदन सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए. वे बेटे वी.ए. अरुण कुमार के घर रह रहे थे. उनकी पत्नी के. वसुमति, बेटी वी.वी. आशा, बेटा अरुण और पोते-पोतियां उनसे आगे हैं.

 

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