टारगेट से पहले ही हिडमा ढेर! सुरक्षा एजेंसियों ने समयसीमा से पहले पूरी की सबसे बड़ी कार्रवाई

भारत में नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता तब मिली जब देश के सबसे कुख्यात और वांछित नक्सलियों में से एक हिडमा को सुरक्षा बलों ने आंध्र प्रदेश के घने जंगलों में ढेर कर दिया. यह कार्रवाई सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि उस बहु-स्तरीय राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा थी, जिसे गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के पूरी तरह अंत से पहले प्राथमिक लक्ष्य के रूप में निर्धारित किया था.

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Naxal operation: भारत में नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता तब मिली जब देश के सबसे कुख्यात और वांछित नक्सलियों में से एक हिडमा को सुरक्षा बलों ने आंध्र प्रदेश के घने जंगलों में ढेर कर दिया. यह कार्रवाई सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि उस बहु-स्तरीय राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा थी, जिसे गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के पूरी तरह अंत से पहले प्राथमिक लक्ष्य के रूप में निर्धारित किया था.

सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को 30 नवंबर 2025 तक हिडमा को खत्म करने का कड़ा टारगेट दिया था. लेकिन आंध्र प्रदेश और केंद्रीय सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने इसे तय समय से 12 दिन पहले ही अंजाम दे दिया. गृह मंत्री ने हिडमा के मारे जाने के तुरंत बाद शीर्ष अधिकारियों से बात कर अभियान की प्रगति की जानकारी भी ली.

गृह मंत्रालय की योजना के अनुसार, 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद का लगभग पूर्ण सफाया करने का लक्ष्य है. शाह चाहते थे कि इस ‘अंतिम चरण’ से चार महीने पहले ही हिडमा जैसे शीर्ष नेतृत्व को खत्म कर दिया जाए ताकि संगठन की रीढ़ पूरी तरह टूट जाए.

कौन था हिडमा?

सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में 1981 में जन्मा हिडमा, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए लंबे समय से सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ था. वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन-1 का कमांडर था और माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य भी. माना जाता है कि वह बस्तर क्षेत्र से इस प्रतिबंधित संगठन की केंद्रीय इकाई तक पहुंचने वाला एकमात्र आदिवासी सदस्य था.

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, हिडमा 26 से अधिक बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड था, जिनमें सुरक्षाबलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. उसकी उम्र, पहचान और चेहरे को लेकर वर्षों तक अटकलें चलती रहीं, जब तक कि इस साल उसकी तस्वीर सार्वजनिक नहीं हुई.

कैसे हुई कार्रवाई?

बस्तर और पड़ोसी राज्यों में नक्सली नेटवर्क कमजोर पड़ने के बीच, आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मरेदुमिल्ली जंगलों में मंगलवार सुबह सुरक्षा बलों ने एक सटीक खुफिया सूचना के आधार पर अभियान चलाया. मुठभेड़ में कुल छह नक्सली मारे गए, जिनमें हिडमा और उसकी पत्नी राजे भी शामिल थीं.

बस्तर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिडमा का मारा जाना माओवादी आतंक के “ताबूत में आखिरी कील” साबित हो सकता है. PLGA की बटालियन-1 को दंडकारण्य क्षेत्र में सबसे मजबूत, प्रशिक्षित और आक्रामक माओवादी सैन्य इकाई माना जाता है. दंडकारण्य का इलाका छत्तीसगढ़ के बस्तर से लेकर आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के हिस्सों तक फैला हुआ है.

क्या अर्थ है इस सफलता का?

विशेषज्ञों के अनुसार, हिडमा की मौत से माओवादियों की सैन्य क्षमता को भारी झटका लगा है. लंबे समय से सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमले करने में माहिर यह कमांडर माओवादी ढांचे का ‘स्ट्रेटेजिक ब्रेन’ माना जाता था.

अब सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि नेतृत्वविहीन होने के बाद नक्सल संगठन का प्रभाव और भी तेजी से कमजोर पड़ेगा और सरकार द्वारा तय 2026 की समयसीमा में नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य और सशक्त होगा.

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