चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल की कार पर फेंके गए पत्थर: आप

दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार पर पत्थर फेंके जाने का मामला सामने आया है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया है कि यह घटना जानबूझकर की गई और उनके नेता के जीवन को खतरे में डालने की साजिश थी. पार्टी ने इस हमले के लिए बीजेपी और विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया है और इसे चुनावी प्रचार में असहमति व्यक्त करने का एक खतरनाक तरीका बताया है.

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Courtesy: social media

दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार पर पत्थर फेंके जाने का मामला सामने आया है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया है कि यह घटना जानबूझकर की गई और उनके नेता के जीवन को खतरे में डालने की साजिश थी. पार्टी ने इस हमले के लिए बीजेपी और विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया है और इसे चुनावी प्रचार में असहमति व्यक्त करने का एक खतरनाक तरीका बताया है.

आप का आरोप: जानबूझकर हमला किया गया

आम आदमी पार्टी ने इस हमले को गंभीर बताते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने चुनाव प्रचार में जुटे थे, तभी उनकी कार पर पत्थर फेंके गए. पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, "यह एक सुनियोजित हमला था, जिसका उद्देश्य हमारे नेता को नुकसान पहुँचाना था. चुनावी प्रचार के दौरान ऐसी घटनाएं लोकतंत्र के खिलाफ हैं और इसकी हम कड़ी निंदा करते हैं."

बीजेपी पर आरोप: चुनावी माहौल को हिंसा की ओर ले जाना

आप पार्टी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह हमला विपक्ष द्वारा उनके प्रचार को रोकने के प्रयास का हिस्सा था. पार्टी ने कहा कि बीजेपी चुनावी माहौल को हिंसक दिशा में मोड़ने की कोशिश कर रही है. आप के नेता ने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से ना केवल लोकतंत्र को नुकसान पहुँचता है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया को भी अपवित्र करता है.

पुलिस ने शुरू की जांच: हमलावरों की तलाश

इस हमले के बाद दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और हमलावरों की पहचान करने के लिए जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने कहा कि हमले की पूरी घटना की वीडियो फुटेज खंगाली जा रही है और जल्द ही आरोपियों को पकड़ा जाएगा. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

राजनीतिक माहौल में बढ़ती हिंसा पर सवाल

दिल्ली विधानसभा चुनावों में बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच यह घटना एक और उदाहरण बन गई है कि किस तरह चुनावी प्रचार के दौरान हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में इस प्रकार की हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए. चुनावी प्रचार के दौरान नेताओं की सुरक्षा और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि लोकतंत्र की भावना बरकरार रहे.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)
 

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