Admiral R Hari Kumar: भारतीय नौसेना हमारी समुंदर की सीमाओं की रक्षा को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रही है. नौसेना ने एंटी-पाइरेसी और एंटी ड्रोन ऑपरेशन के लिए छह युद्धपोत तैनात किए हैं. भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने एंटी पाइरेसी एक्ट पारित करने के लिए सरकार की सराहना की है. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना समुद्री डकैतों और समुद्री चुनौतियों से अच्छी तरह निपट रही है.
भारतीय नौसेना प्रमुख प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने इस मौके पर कहा कि अरब सागर और अदन की खाड़ी में समुद्री डकैतों की चुनौती से निपटने के लिए वहां और भी युद्धपोत भेजे जाएंगे.
नौसेना प्रमुख ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि वो हिन्द महासागर को सुरक्षित रखना चाहते हैं. इस दिशा में भारतीय नौसेना काम भी कर रही है. उन्होंने कहा कि "भारतीय नौसेना ने एंटी पाइरेसी और एंटी ड्रोन अभियानों के लिए छह युद्धपोत तैनात किए हैं. यह संख्या और बढ़ने वाली है. इस संबंध में सरकार को एक प्रस्ताव सौंप दिया गया है. इस प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है."
नौसेना प्रमुख ने भारतीय नौसेना की शक्तियों के बारे में बताते हुए कहा कि नौसेना अपनी सीमाओं की रक्षा करने और समुद्री दुश्मनों से निपटने में पूरी तरह से समर्थ है. उन्होंने बताया कि नौसेना पहले से ही जीपीएस जैमर, सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिसिटम और लेजर उपकरणों सहित एंटी ड्रोन जैसे हथियारों से लैस है. इसके साथ ही नौसेना के पास पहले से ही ऐसे कई युद्धपोत मौजूद हैं, जो इन सुविधाओं से लैस है. इसके अलावा कुछ और युद्धपोत में इन सुविधाओं को शामिल किया जा रहा है.
अरब सागर में सोमालिया तट पर 5 से 6 हथियारबंदो ने भारतीय जहाज को हाइजैक करने की कोशिश की थी. भारतीय नौसेना ने सोमालिया तट से हाइजैक किया गया एमवी लीला नॉरफॉक से 15 भारतीय नागरिकों सहित चालक दल के सभी 21 सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था. नौसेना से मिली जानकारी के अनुसार, जब समुद्री लुटेरों ने विमान के ऊपर भारतीय विमान और ड्रोन देखे वह वहां से भाग गए
नौसेना की इस कार्रवाई को लेकर नौसेना प्रमुख ने देशवासियों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि " "हम अपने देशवासियों को किसी भी जगह से वापस ला सकते हैं. इस जहाज पर भारतीय ध्वज नहीं था, लेकिन चालक दल भारतीय थे और उनकी मदद करना हमारी राष्ट्रीय नीति है. भारत के नागरिक जब भी परेशान होते हैं. हम मदद के लिए पहुंच जाते हैं. हमने सूडान और यूक्रेन में भी ऐसा ही किया था."