ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन में सफलता प्राप्त कर अंतरिक्ष में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर लिया है. गुरुवार को इसरो ने दो उपग्रहों की डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया. जिससे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया.
इसरो ने 'एक्स' पर साझा करते हुए कहा, 'भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है! इसरो के स्पैडेक्स मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता हासिल की है. यह पल गर्व का है.
स्पैडेक्स मिशन के तहत दो उपग्रहों, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट), को अंतरिक्ष में 15 मीटर से 3 मीटर की दूरी तक पैंतरेबाज़ी करने के बाद सफलतापूर्वक डॉक किया गया. डॉकिंग के बाद दोनों उपग्रहों को एक ही वस्तु के रूप में नियंत्रित किया गया. इसरो ने बताया कि डॉकिंग प्रक्रिया के दौरान, उपग्रहों को पहले 15 मीटर से 3 मीटर की दूरी तक लाया गया. इसके बाद सटीक पैंतरेबाज़ी के साथ डॉकिंग शुरू की गई. जिसमें दोनों उपग्रहों को सफलतापूर्वक जोड़ दिया गया. डॉकिंग के बाद सुचारू रूप से अनडॉकिंग और पावर ट्रांसफर चेक की प्रक्रिया आने वाले दिनों में पूरी की जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि के लिए इसरो और अंतरिक्ष समुदाय को बधाई दी. उन्होंने कहा, 'यह भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.' स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना था. जब एक ही मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च किए जाते हैं, तो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक अनिवार्य हो जाती है. इसरो ने इसे एक किफायती प्रदर्शन मिशन बताया, जो PSLV द्वारा प्रक्षेपित छोटे अंतरिक्ष यानों का उपयोग करता है.
स्पैडेक्स मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को PSLV C60 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. इस रॉकेट ने 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे उपग्रहों और 24 पेलोड को 475 किमी की गोलाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया. स्पैडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक नई दिशा तय करता है. इस तकनीक से भविष्य में मल्टी-स्टेज मिशन, अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण, और ग्रहों की लंबी यात्रा के लिए आवश्यक तकनीकी आधार मजबूत होगा.