Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा, हिंदुओं, जैनों और बौद्धों के लिए एक पवित्र तीर्थयात्रा, पांच साल के अंतराल के बाद जून 2025 से फिर शुरू होगी. यह यात्रा भगवान शिव के निवास स्थान माने जाने वाले पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक ले जाती है. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित यह यात्रा दो मार्गों उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथू ला दर्रे के माध्यम से होगी.
श्रद्धालुओं का इंतजार खत्म
तारीख और बैच: विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि यात्रा जून से अगस्त 2025 तक चलेगी. पहला बैच 15 जून को दिल्ली से रवाना होगा. नाथू ला मार्ग से 10 बैच, प्रत्येक में 50 यात्री और लिपुलेख मार्ग से 5 बैच, प्रत्येक में 50 यात्री, यात्रा करेंगे. कुल 750 यात्री, जो 5561 आवेदकों में से चुने गए, इस यात्रा में शामिल होंगे.
जून 2025 से फिर शुरू होगी सिक्किम के नाथू ला मार्ग से तीर्थयात्रा
मार्ग: नाथू ला मार्ग, जो सिक्किम के गंगटोक से शुरू होता है, पूरी तरह से मोटर वाहन से चलने योग्य है और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त है. यह 21 दिनों में पूरा होता है, जिसमें दिल्ली में तीन दिन दस्तावेज और स्वास्थ्य जांच के लिए शामिल हैं. यह मार्ग हंगू झील जैसे खूबसूरत स्थानों से होकर गुजरता है. लिपुलेख मार्ग, जो उत्तराखंड के धारचूला से शुरू होता है, 24 दिनों का है और इसमें कुछ पैदल यात्रा शामिल है. यह मार्ग नारायण आश्रम जैसे धार्मिक स्थलों से होकर गुजरता है.
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से सितंबर
सर्वश्रेष्ठ समय: यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से सितंबर है, जब मौसम अनुकूल होता है. गर्मियों (जून-अगस्त) में तापमान स्थिर रहता है, जिससे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यात्रा आसान होती है. सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण यात्रा बंद रहती है.
पंजीकरण और लागत: आवेदन kmy.gov.in पर 13 मई तक करना था. नाथू ला मार्ग की लागत लगभग 2.83 लाख रुपये और लिपुलेख मार्ग की लागत 1.74 लाख रुपये प्रति व्यक्ति है. यात्रियों को वैध पासपोर्ट और मेडिकल फिटनेस टेस्ट पास करना होगा.
तैयारी: सिक्किम सरकार ने नाथू ला मार्ग पर दो जलवायु अनुकूलन केंद्र स्थापित किए हैं ताकि ऊंचाई की बीमारी से बचाव हो. यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि सिक्किम और उत्तराखंड के स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी.
Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा, हिंदुओं, जैनों और बौद्धों के लिए एक पवित्र तीर्थयात्रा, पांच साल के अंतराल के बाद जून 2025 से फिर शुरू होगी. यह यात्रा भगवान शिव के निवास स्थान माने जाने वाले पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक ले जाती है. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित यह यात्रा दो मार्गों उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथू ला दर्रे के माध्यम से होगी.
श्रद्धालुओं का इंतजार खत्म
तारीख और बैच: विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि यात्रा जून से अगस्त 2025 तक चलेगी. पहला बैच 15 जून को दिल्ली से रवाना होगा. नाथू ला मार्ग से 10 बैच, प्रत्येक में 50 यात्री और लिपुलेख मार्ग से 5 बैच, प्रत्येक में 50 यात्री, यात्रा करेंगे. कुल 750 यात्री, जो 5561 आवेदकों में से चुने गए, इस यात्रा में शामिल होंगे.
जून 2025 से फिर शुरू होगी सिक्किम के नाथू ला मार्ग से तीर्थयात्रा
मार्ग: नाथू ला मार्ग, जो सिक्किम के गंगटोक से शुरू होता है, पूरी तरह से मोटर वाहन से चलने योग्य है और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त है. यह 21 दिनों में पूरा होता है, जिसमें दिल्ली में तीन दिन दस्तावेज और स्वास्थ्य जांच के लिए शामिल हैं. यह मार्ग हंगू झील जैसे खूबसूरत स्थानों से होकर गुजरता है. लिपुलेख मार्ग, जो उत्तराखंड के धारचूला से शुरू होता है, 24 दिनों का है और इसमें कुछ पैदल यात्रा शामिल है. यह मार्ग नारायण आश्रम जैसे धार्मिक स्थलों से होकर गुजरता है.
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से सितंबर
सर्वश्रेष्ठ समय: यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से सितंबर है, जब मौसम अनुकूल होता है. गर्मियों (जून-अगस्त) में तापमान स्थिर रहता है, जिससे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यात्रा आसान होती है. सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण यात्रा बंद रहती है.
पंजीकरण और लागत: आवेदन kmy.gov.in पर 13 मई तक करना था. नाथू ला मार्ग की लागत लगभग 2.83 लाख रुपये और लिपुलेख मार्ग की लागत 1.74 लाख रुपये प्रति व्यक्ति है. यात्रियों को वैध पासपोर्ट और मेडिकल फिटनेस टेस्ट पास करना होगा.
तैयारी: सिक्किम सरकार ने नाथू ला मार्ग पर दो जलवायु अनुकूलन केंद्र स्थापित किए हैं ताकि ऊंचाई की बीमारी से बचाव हो. यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि सिक्किम और उत्तराखंड के स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी.