हरियाणा में मतदान को लेकर जहां राजनीतिक पार्टियां मैदान में ऊतर चुकी हैं. तो दूसरी तरफ उम्मीदवारों की जीत हरियाणा की जनता के एक-एक वोट को हासिल करने पर. तमाम पार्टियों के नेताओं ने हरियाणा में चुनावी रैली व जनसभा में संबोधन के दौरान दिए गए प्रलोभन को लेकर कई अटकलें बनी है. यह अटकले खाती जाति के साथ साथ अन्य कई अनुसूचित जाति के वोट बैंकसे जुड़ी है, इस जाति से संबंधित लोगों के लिए पिछली सरकार द्वारा मिली सुविधाएं व वर्तमान वादे दोनों ही खासा महत्व रखते ही.
समाचार एजेंसी टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट को तैयार किया. रिपोर्ट में 'खाती' जाति की महिला मंजू ने का चुनावों को लेकर कहना है कि, "हमें क्या पता? कोई हमारे लिए कभी कुछ नहीं करता. न तो कोई नौकरी है, न कोई कामकाज का अवसर देता है. हम दूसरे लोगों के खेतों में काम करते हैं" मेरे 24 साल के बेटे के पास डिग्री है, लेकिन नौकरी नहीं. मंजू किसी भी पार्टी से कोई उम्मीद नहीं रखती. सिरसा के डाबला गांव की निवासी ने कहा, "मैं घर बैठकर क्या करूंगी?" निचली जातियों के कई लोग भी इसी तरह की निराशा की भावना रखते हैं।
अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाली सफाईकर्मी प्रोमिला रोहतक में रहती है. प्रोमिला का कहा है कि "हम अपने घरों में किरायेदारों की तरह रह रहे हैं. सुविधाओं के मुहैय्या होने होने के लिए सरकार को हम भुगतान करते हैं, लेकिन सरकार सरकार हमें कोई मदद नहीं दे रही.'' चुनावों के प्रति प्रोमिला में किसी तरह का कोई उत्साह ने दिखा. उनका कहना है कि- मुझे वोट देने का मन नहीं है, न मोदी और न ही राहुल गांधी को हमारी परवाह है" उन्होने बताया कि वह हमेशा से ही भाजपा को ही वोट देती है.
सिरसा के शहीदांवाली गांव मे रहने वाले ओबीसी मतदाता सोराज प्रकाश का कहना है कि-हम बदलाव चाहते हैं, हमारे विधायक गोपाल कांडा ने हमारे लिए कुछ करा ही नहीं. हम पानी समस्या से जुझ रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में किसी तरह का कोई विकास सामने नहीं आया है. खेती को लेकर भी हमें कई तरह की परेशानियां सामने आई हैं. हरियाणा में दलित व ओबीसी समुदायों की आवाज़ उठाने के लिए कोई भी आगे नहीं आया है. उनका कहना है कि वोट उनके लिए खास महत्व नहीं रखते हैं. उनकी पसंद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. जाट मतदाताओं का कांग्रेस की तरफ झुकाव व पंजाबी और सैनी (ओबीसी) समुदायों का व्यापक तौर पर भाजपा के साथ खड़े होने से निचली जातियों व दलितों पर हाथइए खड़ा हो गया है.
अगर बात की जाए वर्तमान सीएम नायब सिंह सैनी को भाजपा को सैनी समुदाय की तरफ से अच्छे खासे वोट मिले और कांग्रेस को 40% ओबीसी वोट मिलने की उम्मीद है. क्योंकि राज्य में यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है. इनके वोट बीजेपी को मिलते हैं. बीते 10 वर्षों में ओबीसी समुदाय का झुकाव बीजेपी की तरफ़ ज्यादा रहा है, "वर्तमान मुख्यमंत्री के सैनी होने से भाजपा को सैनी समुदाय से अच्छा खासा वोट मिलेगा और कांग्रेस को 40% ओबीसी वोट मिलने की उम्मीद है." दरअसल राहुल गांधी के "36 बिरादरी की कांग्रेस सरकार" नारे पर अगर बात करते हुए वोटर ने कहा कि "संविधान बचाओ" अभियान और सत्ता विरोधी भावना "कांग्रेस पार्टी के लिए गेम चेंजर साबित होगी."
हरियाणा में 40.9 लाख अनुसूचित जातियां है जो राज्य की आबादी का 19.4% है, और भारत में 5वां सबसे बड़ा राज्य है. ऐसे में कांग्रेस द्वारा किए गए दावे- (जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने) का कोई खासा असर देखने को नहीं मिला है. महज चामर जाति को फ़ायदा हुआ. जाति जनगणना से दूसरी जातियों को हिस्सेदारी मिलना संभव होगा. ब्राह्मण, पंजाबी और सैनी भाजपा के समर्थन में हैं. लेकिन किसानों का आंदोलन जिसमें 62% किसान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ही अपना समर्थन भाजपा को दे रहे हैं.