Law: भारत में आने वाले कुछ वक्त में 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों के बीच इच्छनुसार सेक्स वैध किया जा सकता है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने भारत में इच्छनुसार किशोरों के यौन संबंध को गुनाह की श्रेणी से बाहर रखने वाले रोमियो-जूलियट कानून आवेदन पर केंद्र सरकार से इस बात की पुष्टी करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट रोमियो-जूलियट कानून के तहत एक जनहित याचिका दायर करवाई गई है. इस
इस याचिका में बताया गया है कि, भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के लाखों लड़के-लड़कियां हैं जो आपसी सहमति के मुताबिक यौन संबंध स्थापित करते हैं. लेकिन फिर भी इस मामले में माता पिता की शिकायत के आधार पर लड़के को हिरासत में ले लिया जाता है. लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है तो इसे बलात्कार कहा जाता है. यदपि इस मामले में लड़कों को गुनेहगार मान लेना गलत है. वहीं याचिका बताती है कि 18 साल के उम्र के किशोर, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक तरीके से इतने सक्षम हो पाते हैं कि निर्णय लेने समय सोच-समझ कर फैसला ले सकें, और उन्हें इस बात कि समझ हो जाती है कि अपने शरीर के साथ क्या करना सही है क्या गलत है.
भारत के अंदर रोमियो- जूलियट कानून को लागू करने की शुरूआत भले ही अब हुई हो, लेकिन भारत के अलावा अन्य कई ऐसे देश हैं, जहां पहले से इस तरह के कानून लागू है. रोमियो-जूलियट एक्ट देश के नाबालिगों के बीच संबंधों को लेकर सुरक्षा प्रदान करता है. बोल-चाल की भाषा में यौन संबंध दोनों के बीच अगर सहमति से हुई हो तो इसे यौन शोषण नहीं कहेंगे. वहीं इस कानून को वर्ष 2007 के बाद कई देशों ने अपनाया है. जिससे कि लड़कों को हिरासत में जाने से बचाया जाए. मतलब युवक की उम्र युवती से 4 साल अधिक नहीं है तो, वह आपसी सहमति से संबंध स्थापित कर सकता है. कानून इसे गलत नहीं मानेगी.
हर किसी को अब इस याचिका पर केंद्र सरकार की क्या प्रतिक्रिया मिलती है, इस बात का इंतजार है. उनकी प्रतिक्रिया बलात्कार से संबंधी कानून की दिशा बदलने में अहम है. केंद्र सरकार का निर्णय ही बताएगा कि, सामाजिक हालात को देखते हुए कानून में कोई बदलाव होगा या नहीं. रोमियो जूलियट कानून याचिका पर बेंच के लोगों का कहना है कि, ये एक शून्य, कानून का धुंधला भाग है. कैसे 16 वर्ष से कम आयु वाले संबंध बना सकते हैं.