नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कोष की शुरुआत की. यह कोष अनुसंधान विकास और नवाचार के लिए है. घोषणा उभरते विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन में हुई.
इस सम्मेलन का मकसद नीति बनाने वालों नवप्रवर्तकों और वैश्विक विचारकों को एक जगह लाना है. इससे विकसित भारत 2047 के सपने को बल मिलेगा. प्रधानमंत्री ने भारत की वैज्ञानिक सफलताओं वाली कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया. साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए विजन दस्तावेज जारी किया.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग इस कोष का मुख्य मंत्रालय है, कोष दो स्तरों में काम करेगा. पहला स्तर राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के तहत विशेष कोष बनेगा, इसमें एक लाख करोड़ रुपये रखे जाएंगे. यह कोष सीधे कंपनियों या स्टार्टअप में पैसा नहीं लगाएगा. बल्कि दूसरे स्तर के कोष प्रबंधकों को देगा. ये प्रबंधक वैकल्पिक निवेश कोष विकास वित्त संस्थान या गैर बैंकिंग वित्त कंपनियां हो सकती हैं. दूसरे स्तर के प्रबंधक वित्त व्यवसाय और प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों वाली समितियों से सलाह लेंगे. ये समितियां समर्थन की सिफारिशें देंगी. समितियां सरकार से अलग काम करेंगी. इससे निर्णय तेज और स्वतंत्र होंगे, पूरी व्यवस्था पारदर्शी रहेगी.
India is rapidly building a vibrant ecosystem for research and development. Addressing the Emerging Science, Technology and Innovation Conclave in New Delhi. https://t.co/jIhdvjraIy
— Narendra Modi (@narendramodi) November 3, 2025
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत को नवाचार आधारित राष्ट्र बनाने के सुधार अब असर दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत अब तकनीक का उपभोक्ता नहीं बल्कि तकनीक संचालित परिवर्तन में अग्रणी है. पिछले दस साल में अनुसंधान और विकास व्यय दोगुना हो गया. पंजीकृत पेटेंट सत्रह गुना बढ़े. भारत में छह हजार से ज्यादा डीपटेक स्टार्टअप हैं. ये स्वच्छ ऊर्जा उन्नत सामग्री और अन्य नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं. सेमीकंडक्टर क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है. ये आंकड़े देश की प्रगति दिखाते हैं.
कोविड काल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि वैश्विक संकट में भारत की घरेलू ताकत बढ़ी. देश ने रिकॉर्ड समय में स्वदेशी टीका बनाया. दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि आज भारत के पास दुनिया का पहला और सबसे सफल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा है जिसने पैमाने डेटा संचालित समन्वय और रीयल टाइम डिलीवरी को संभव बनाया.