उन्नाव रेप मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व बीजेपी नेता कुलदीप सिंह सेंगर को सशर्त जमानत मिलने के फैसले ने देशभर में हलचल मचा दी है. दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर शुक्रवार को सैकड़ों लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारी न्यायालय परिसर के निकट इकट्ठा हुए, नारे लगाए और जमानत आदेश को रद्द करने की मांग की. यह घटना पीड़िता और उसके परिवार की बढ़ती चिंताओं के बीच हुई, जो सेंगर की रिहाई से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
पीड़िता ने कोर्ट के फैसले पर गहरा दुख व्यक्त किया. एक प्रमुख समाचार पत्र से बातचीत में उन्होंने कहा कि जमानत की शर्तों को जानने के बाद उन्हें बेहद असुरक्षित लग रहा है. पीड़िता ने पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि सेंगर एक प्रभावशाली व्यक्ति है, जो अपने गुर्गों से काम करवाता है. 2019 में हुई कार दुर्घटना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उस हादसे में उनके दो रिश्तेदारों और वकील की मौत हो गई थी, जो सेंगर के आदमियों का काम था.
पीड़िता की मां ने समाचार एजेंसी से बातचीत में जमानत पर कड़ा ऐतराज जताया. उन्होंने कहा कि सेंगर की जमानत रद्द होनी चाहिए और वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी. अगर वहां भी न्याय नहीं मिला, तो वे दूसरे देश चले जाएंगे. मां ने अपने पति की हत्या का जिक्र करते हुए मांग की कि दोषी को तुरंत फांसी दी जाए. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि इस वर्ष मार्च तक उन्हें और उनके तीन बच्चों को मिली सुरक्षा हटा ली गई थी, जिससे परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं.
प्रदर्शन में महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना समेत कई लोग शामिल थे. भयाना ने कहा कि पूरे देश की महिलाएं इस फैसले से दुखी हैं, क्योंकि एक बलात्कारी की सजा को पलट दिया गया. उन्होंने जोर देकर कहा कि न्याय की मांग उसी जगह से की जाएगी जहां अन्याय हुआ. एक अन्य प्रदर्शनकारी ने सवाल उठाया कि सेंगर को जमानत किस आधार पर दी गई, जबकि उन्हें बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था.
कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव में एक 17 वर्षीय लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी करार दिया गया था. सजा तौर आजीवन जेल का आदेश दिया गया. दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को उनकी सजा को निलंबित कर दिया, क्योंकि उन्होंने पोक्सो एक्ट के तहत अधिकतम सजा से अधिक समय जेल में काट लिया है.
हालांकि, यह फैसला पीड़िता के परिवार के लिए सदमे की तरह है. सेंगर, अब सशर्त जमानत पर बाहर हैं, लेकिन मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस महिलाओं के न्याय और सुरक्षा के मुद्दों पर गंभीर बहस छेड़ सकता है.