नयी दिल्ली: रेल मंत्रालय को परिवहन, सूचना प्रदाय और जनता को प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाओं के सिलसिले में निर्धारित दिव्यांग सुगमता मापदंड के अनुरूप रेलवे स्टेशनों पर मौजूदा बुनियादी ढांचे में संशोधन करने को कहा गया है.
मुख्य दिव्यांग आयुक्त की अदालत ने दिव्यांग चिकित्सक सतेंद्र सिंह की विस्तृत शिकायत पर ये निर्देश दिये हैं. सिंह ने अपनी शिकायत में नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सामने आ रही विभिन्न चुनौतियों को विस्तार से लिखा है.
सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि वंदे भारत एक्सप्रेस के डिजाइन में सुगमता संबंधी कई खामियां हैं.
अदालत ने रेल मंत्रालय को भारत में सार्वभौमिक सुगमता हेतु सामंजस्यपूर्ण दिशानिर्देश और मानक, 2021 के अनुरूप नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन, गाजियाबाद रेलवे स्टेशन और अन्य स्टेशनों पर मौजूदा बुनियादी ढांचे में परिवर्तन और संशोधन करने का आदेश दिया.
इन निर्देशों में एलीवेटर, लचीले ढलान वाले रैम्प, सर्वसुलभ शौचालय, व्हीलचेयर-अनुकूल बग्गी और दोहरी ऊंचाई वाले टिकट काउंटर शामिल हैं. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वभौमिक सुगमता सुनिश्चित करने और विकलांग अधिकार अधिनियम, 2016 में उल्लिखित वैधानिक दायित्वों को पूरा करने के लिए ‘एस्केलेटर’ की तुलना में ‘लिफ्टों’ को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
सिंह ने अपनी शिकायत में 27 दिसंबर, 2024 को अपने साथ हुए भयावह अनुभव का विवरण दिया, जब वह वंदे भारत एक्सप्रेस में सवार होने के लिए नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे.
प्लेटफॉर्म 12 पर लिफ्ट या रैंप की कमी के कारण उन्हें बैसाखी का उपयोग करके 80 से अधिक सीढ़ियां उतरनी पड़ीं. प्लेटफॉर्म 16 पर एक खराब तरीके से चिह्नित लिफ्ट ने बहुत कम मदद की. जब वह देर रात कानपुर से लौटे तब स्टेशन में लिफ्ट चालू नहीं थीं.
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