'ट्रंप के टैरिफ से भारत को नुकसान...', शशि थरूर ने जताई चिंता, कहा नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विदेश मामलों के विशेषज्ञ शशि थरूर ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उनके अस्थिर व्यवहार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है.

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Shashi Tharoor: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विदेश मामलों के विशेषज्ञ शशि थरूर ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उनके अस्थिर व्यवहार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है. थरूर ने विशेष रूप से रूसी तेल आयात पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ, जिसमें 25 प्रतिशत जुर्माना शामिल है, को भारतीय निर्यात और रोजगार के लिए हानिकारक बताया. 

टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

थरूर ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. विशेष रूप से सूरत के रत्न और आभूषण उद्योग, समुद्री खाद्य, और विनिर्माण क्षेत्रों में लगभग 1.35 लाख नौकरियां खत्म हो चुकी हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो और अधिक रोजगार खतरे में पड़ सकते हैं. थरूर ने क्रेडाई (CREDAI) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा, "यह धारणा गलत है कि हम इन टैरिफों के प्रभाव को आसानी से झेल लेंगे. यह हमारे लिए एक गंभीर चुनौती है."

ट्रंप का अपरंपरागत व्यवहार

शशि थरूर ने डोनाल्ड ट्रंप की कार्यशैली पर तीखा हमला बोला. उन्होंने ट्रंप को एक "असामान्य राष्ट्रपति" करार देते हुए कहा कि वे पारंपरिक कूटनीतिक व्यवहार का सम्मान नहीं करते. थरूर ने ट्रंप के बयानों का जिक्र करते हुए कहा, "क्या आपने कभी किसी विश्व नेता को यह कहते सुना है कि वह नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार है? या यह कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं मृतप्राय हैं? ऐसी भाषा किसी भी विश्व नेता के लिए अभूतपूर्व है."

उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप की नीतियां और बयानबाजी न केवल भारत बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए भी हानिकारक हैं. थरूर ने सुझाव दिया कि भारत को ट्रंप के व्यवहार को नजरअंदाज करते हुए अपनी आर्थिक रणनीति को मजबूत करना चाहिए.

निर्यात बाजारों में विविधता की जरूरत

थरूर ने इस संकट से निपटने के लिए भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने की सलाह दी. उन्होंने हाल ही में ब्रिटेन के साथ हुए व्यापार समझौते का हवाला देते हुए कहा कि इससे भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. थरूर ने कहा, "हमें नए बाजार तलाशने होंगे ताकि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके."

उन्होंने यह भी बताया कि 25 प्रतिशत प्रारंभिक टैरिफ और अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुर्माने ने भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश को लगभग असंभव बना दिया है. इससे भारतीय निर्यातक कम टैरिफ वाले देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं.

रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध

थरूर ने अमेरिका की रूस से तेल आयात पर नीति को "अनुचित" और "विचित्र" बताया. उन्होंने कहा कि चीन रूस से भारत से कहीं अधिक तेल और गैस आयात कर रहा है, फिर भी अमेरिका ने केवल भारत को निशाना बनाया है. थरूर ने मांग की कि अमेरिका को सभी देशों के लिए एक समान नीति अपनानी चाहिए. उन्होंने कहा, "यह 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क कोई टैरिफ नहीं, बल्कि एक तरह का प्रतिबंध है, जो भारत के खिलाफ लक्षित है."

भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रभाव

थरूर ने भारत-अमेरिका संबंधों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि अमेरिकी बाजार तक पहुंच बनाए रखना भारत के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है, और प्रारंभिक 25 प्रतिशत टैरिफ में कमी की संभावना है. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुर्माना हटाया नहीं जाता, तब तक भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतियां बनी रहेंगी.

क्या है आगे की राह

थरूर ने जोर देकर कहा कि भारत को इस संकट से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे. उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी चाहिए और अपनी व्यापार नीतियों को और लचीला बनाना चाहिए. थरूर ने यह भी कहा कि भारत को अपनी आर्थिक नीतियों को ट्रंप के अप्रत्याशित व्यवहार से प्रभावित नहीं होने देना चाहिए.

उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित उद्योगपतियों से अपील की कि वे ट्रंप के व्यवहार को भारत की प्रगति का पैमाना न मानें. थरूर ने विश्वास जताया कि भारत अपनी आर्थिक रणनीति को मजबूत करके इन चुनौतियों से पार पा सकता है.

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