अलग-अलग समय पर आप भी जाते हैं पॉटी? जानें क्या कहता है आपका गट हेल्थ

अक्सर लोग अपनी सेहत को लेकर खानपान और एक्सरसाइज़ पर ध्यान देते हैं, लेकिन बॉवेल मूवमेंट यानी पॉटी के समय को नज़रअंदाज़ कर देते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पॉटी करने का समय केवल एक आदत नहीं, बल्कि आपकी गट हेल्थ, डाइट और लाइफस्टाइल का आईना होता है.

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अक्सर लोग अपनी सेहत को लेकर खानपान और एक्सरसाइज़ पर ध्यान देते हैं, लेकिन बॉवेल मूवमेंट यानी पॉटी के समय को नज़रअंदाज़ कर देते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पॉटी करने का समय केवल एक आदत नहीं, बल्कि आपकी गट हेल्थ, डाइट और लाइफस्टाइल का आईना होता है. यह शरीर की अंदरूनी रिदम को समझने में मदद करता है और बताता है कि पाचन तंत्र सही ढंग से काम कर रहा है या नहीं.

ज़्यादातर लोग यह ट्रैक नहीं करते कि वे रोज़ किस समय पॉटी करते हैं. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि बॉवेल मूवमेंट की टाइमिंग डाइजेस्टिव सिस्टम की सेहत के बारे में अहम संकेत देती है. आमतौर पर शरीर सुबह के समय नेचुरल बॉवेल मूवमेंट के लिए तैयार रहता है. रात की नींद और सुबह उठने के बाद गट एक्टिव हो जाता है. हालांकि, अनियमित दिनचर्या, तनाव, खराब नींद और कम फाइबर वाली डाइट के कारण कई लोग शाम या अनिश्चित समय पर पॉटी करने लगते हैं.

गट की अपनी ‘अंदरूनी घड़ी’

हैरानी की बात यह है कि गट की भी एक बॉडी क्लॉक होती है, जो दिमाग की तरह संकेतों पर काम करती है. जब नींद पूरी होती है, भोजन का समय तय होता है और डाइजेशन सही रहता है, तो सुबह पॉटी होना स्वाभाविक माना जाता है. लेकिन देर रात खाना, ज़्यादा स्क्रीन टाइम, पानी की कमी और मानसिक तनाव इस रिदम को बिगाड़ देते हैं. नतीजतन कब्ज़, गैस और पेट से जुड़ी दूसरी समस्याएं सामने आने लगती हैं.

शाम को पॉटी करना क्या संकेत

एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से शाम को पॉटी करता है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि गट को पर्याप्त आराम, हाइड्रेशन या फाइबर नहीं मिल रहा. पूरे दिन शरीर में वेस्ट जमा रहने से पेट फूलना, बेचैनी, ऐंठन और दर्द जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. हालांकि, हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, लेकिन अचानक टाइमिंग में बदलाव या पॉटी के दौरान परेशानी को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए.

लाइफस्टाइल में बदलाव है जरूरी

डॉक्टर बताते हैं कि सुबह रेगुलर पॉटी के लिए उठते ही गुनगुना पानी पीना फायदेमंद होता है. इससे बॉवेल मूवमेंट स्टिमुलेट होता है. इसके साथ ही फाइबर से भरपूर डाइट अपनानी चाहिए. फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और बीज पाचन को बेहतर बनाते हैं. अच्छी नींद का रूटीन, रोज़ाना एक तय समय पर सोना और खाना, गट हेल्थ को मजबूत करता है. देर रात खाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह डाइजेशन और बॉवेल मूवमेंट को प्रभावित करता है. रोज़ कम से कम 45 मिनट की एक्सरसाइज़, योग और मेडिटेशन तनाव कम करने में मदद करते हैं, जिससे पाचन तंत्र बेहतर ढंग से काम करता है.

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