Supreme Court to ECI: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले चुनाव आयोग ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. मतदाताओं की समस्या को दूर करने के लिए सूची संशोधन किए जा रहे हैं. हालांकि विपक्षी पार्टियां लगातार SIR को लेकर सवाल उठा रही है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ECI को आदेश दिया है कि संशोधन से जुड़े तथ्यों और आंकड़ों से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हो जाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह आदेश एक याचिका पर हो रहे सुनवाई के दौरान दिया है. बिहार में मतदाता सूची को लेकर चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है. इस संशोधन से राज्य में कथित तौर पर फर्जी मतदाताओं के नाम छूटने और जुड़ने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 1950 के बाद पैदा हुआ हर व्यक्ति भारत का नागरिक है, लेकिन मौजूदा प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक छोटे से विधानसभा क्षेत्र में 12 जीवित लोगों को मृत दिखा दिया गया और बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) ने कोई कार्रवाई नहीं की. वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल एस. ने अदालत को बताया कि मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटा दिए गए हैं और इसे बड़े पैमाने पर नाम हटाने का मामला बताया. मसौदा सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की गई थी और अंतिम सूची 30 सितंबर को जारी होने वाली थी. इससे पहले, 10 जुलाई को, न्यायालय ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज़ माने और साथ ही बिहार में एसआईआर प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दे.
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह केवल एक मसौदा सूची है और इतने बड़े पैमाने पर की गई प्रक्रिया में छोटी-मोटी त्रुटि हो सकती हैं, लेकिन यह दावा करना गलत है कि जिन लोगों को मृत दिखाया गया है, वे वास्तव में जीवित हैं. न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने टिप्पणी की है कि यदि मसौदा सूची तैयार करने से पहले की गई प्रारंभिक प्रक्रियाओं का ठीक से पालन नहीं किया गया, तो यह एक गंभीर मामला है. अदालत ने कहा कि जिन लोगों के नाम गलत तरीके से मृत बताए गए हैं, उन्हें ठीक किया जाएगा.