वायु प्रदूषण की चुनौती के बीच दिल्ली हाई कोर्ट में एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही है. इस याचिका में एयर प्यूरीफायर पर लगने वाले जीएसटी को कम करने और इन्हें चिकित्सा उपकरण के रूप में वर्गीकृत करने की मांग की गई है. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस मांग का कड़ा विरोध किया है.
सरकार का कहना है कि जीएसटी काउंसिल इस मुद्दे पर फैसला लेने में सक्षम नहीं है, क्योंकि चिकित्सा उपकरणों का वर्गीकरण स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी है. यह मामला राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता में गिरावट के संदर्भ में और भी प्रासंगिक हो जाता है, जहां सर्दियों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है.
दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई की. केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एन वेंकटरमन ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए. एएसजी ने तर्क दिया कि महज दो दिनों में इस जटिल मुद्दे पर जवाब देना संभव नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जीएसटी में किसी भी प्रकार की कटौती या बदलाव के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
एएसजी वेंकटरमन ने कोर्ट को स्पष्ट किया कि जीएसटी काउंसिल एक संवैधानिक निकाय है, जो संघीय कर प्रणाली पर आधारित है. इसमें सभी राज्यों की भागीदारी होती है और किसी भी बदलाव के लिए वोटिंग की प्रक्रिया अनिवार्य है, जो केवल व्यक्तिगत रूप से ही संभव है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ही चिकित्सा उपकरणों की जांच और वर्गीकरण करता है, न कि जीएसटी काउंसिल. यदि एयर प्यूरीफायर को मेडिकल डिवाइस माना जाता है, तो इसका फैसला मंत्रालय की विस्तृत जांच के बाद ही लिया जा सकता है.
कोर्ट के सवाल पर कि जीएसटी काउंसिल को फैसला लेने में क्या बाधा है, एएसजी ने चेतावनी दी कि इससे नया विवाद उत्पन्न हो सकता है. उन्होंने संसदीय समिति की सिफारिशों का हवाला दिया, जिन पर विचार किया जा रहा है. एएसजी ने कहा कि यह प्रक्रिया से जुड़ा मुद्दा है और इसमें संवैधानिक पहलू शामिल हैं. हम इस पर कोई अंतिम राय नहीं दे रहे, लेकिन प्रक्रिया का पालन आवश्यक है. सरकार का यह रुख दर्शाता है कि वह प्रदूषण नियंत्रण के लिए अन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन जीएसटी में त्वरित बदलाव से बचना चाहती है.
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्सर 'बहुत खराब' या 'गंभीर' श्रेणी में रहता है. सर्दियों में धुंध और प्रदूषकों के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं, जिससे एयर प्यूरीफायर जैसे उपकरणों की मांग बढ़ गई है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि जीएसटी में कटौती से ये उपकरण सस्ते हो जाएंगे और अधिक लोगों तक पहुंच सकेंगे, जो स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए लाभदायक होगा.