नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को बताया कि भारत आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के साथ-साथ राजकोषीय मजबूती की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत कर्ज में कमी के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, और इसे मूडीज जैसी रेटिंग एजेंसियों के द्वारा साख में वृद्धि न करने के बावजूद सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं पर कायम है.
निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में राजकोषीय सूझबूझ के साथ विकास की गति को बढ़ाने पर जोर दिया है. इसके अलावा, उन्होंने मध्यम वर्ग को कर राहत देने के साथ-साथ आगामी वर्षों में राजकोषीय घाटे में कमी लाने और कर्ज को जीडीपी के प्रतिशत के रूप में घटाने का रोडमैप भी प्रस्तुत किया.
सीतारमण ने कहा कि महामारी के दौरान भारत को कर्ज लेना पड़ा, क्योंकि वैश्विक चुनौतियां और आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएं थीं. इस दौरान देश की आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लिया गया, लेकिन सरकार ने हमेशा अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा किया.
मूडीज रेटिंग्स ने 1 फरवरी को भारत की साख को बढ़ाने से इनकार कर दिया था, बावजूद इसके कि सरकार ने अपने वित्त को विवेकपूर्ण ढंग से प्रबंधित किया है. वर्तमान में भारत की रेटिंग बीएए3 पर स्थिर बनी हुई है, जो निवेश के लिहाज से निम्नतम स्तर की रेटिंग मानी जाती है.
मूडीज का कहना है कि साख में सुधार के लिए कर्ज के बोझ में और कमी लाना और अधिक राजस्व उत्पन्न करने के उपाय आवश्यक हैं. वित्त मंत्री ने इस पर कहा कि सरकार अपने कर्ज को नियंत्रित कर रही है और लगातार ऋण-जीडीपी अनुपात को कम कर रही है.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने ऐसे कदम उठाए हैं जो कई विकसित देशों द्वारा भी नहीं किए गए. उन्होंने स्पष्ट किया कि सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर्ज में कमी लाना और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना सरकार की प्राथमिकता है, और यह सब सामाजिक कल्याण योजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव डाले बिना किया जा रहा है.
सीतारमण ने बताया कि सरकार पूंजीगत व्यय में कमी नहीं आने दे रही है. अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय को 11.21 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि चालू वित्त वर्ष में इसका अनुमान 10.18 लाख करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि पूंजीगत व्यय का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है, और इसकी गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है.
वित्त मंत्री ने उन राज्यों की भी सराहना की जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय के तहत 50 वर्षों के लिए ब्याज-मुक्त राशि प्राप्त हुई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के साथ-साथ कर्ज को जीडीपी के अनुपात में घटाने की दिशा में स्पष्ट रोडमैप दिया है. उनकी नीति आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करते हुए वित्तीय अनुशासन बनाए रखने पर केंद्रित है.
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