'एक पर हमला दोनों से दुश्मनी', पाक-सऊदी अरब डिफेंस डील पर क्या है भारत की राय?

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बुधवार को एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के तहत दोनों देशों ने घोषणा की कि किसी एक देश पर हमला दोनों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा.

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Courtesy: Social Media

India on Pakistan Saudi Defence Deal: पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बुधवार को एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के तहत दोनों देशों ने घोषणा की कि किसी एक देश पर हमला दोनों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा. जिसके बाद भारत की ओर से यह कहा गया कि अभी इस पर अध्यन किया जाएगा.

 सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मुहम्मद शहबाज़ शरीफ़ ने रियाद में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार, इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाना है. संयुक्त बयान में कहा गया कि यह समझौता दोनों देशों की सुरक्षा को मजबूत करने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. किसी भी देश पर हमला दोनों के खिलाफ हमला माना जाएगा. यह बयान दोनों देशों की एकजुटता को दर्शाता है. यह समझौता 9 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा पर इज़राइल के हमले के बाद अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की संयुक्त बैठक के दो दिन बाद हुआ.

क्षेत्रीय तनाव के बीच समझौता

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब मध्य पूर्व में तनाव चरम पर है. दोहा पर हालिया हमले ने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं. पाकिस्तान और सऊदी अरब का यह गठबंधन क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है. दोनों देशों ने इस समझौते को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया है. इस समझौते पर भारत ने सतर्क रुख अपनाया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने इस समझौते की खबरें देखी हैं. भारत इस घटनाक्रम के राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभावों का अध्ययन करेगा. उन्होंने आगे कहा कि सरकार भारत के हितों की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत इस समझौते को दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था का औपचारिक रूप मान रहा है.

भविष्य की संभावनाएं

दोनों देशों के बीच यह समझौता सैन्य और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह गठबंधन मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को बदल सकता है. साथ ही, यह क्षेत्र में अन्य देशों के साथ संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है. भारत इस समझौते के दीर्घकालिक प्रभावों पर नजर रखेगा. भारत सहित अन्य देश भी इस समझौते के प्रभावों का विश्लेषण कर रहे हैं. यह देखना बाकी है कि यह समझौता क्षेत्रीय स्थिरता को कैसे प्रभावित करेगा.

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