पंजाब: जब भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में सरकार बनाई, तो राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठित अपराध और नशे का फैलता जाल था. पिछले कई वर्षों से यह दोनों समस्याएँ पंजाब की सामाजिक और आर्थिक संरचना को कमजोर कर रही थीं. खासकर युवाओं का भविष्य नशे की गिरफ्त में फँसता जा रहा था. ऐसे माहौल में नई सरकार ने आते ही साफ संदेश दिया कि पंजाब में अपराधियों और माफिया के लिए कोई जगह नहीं होगी.
सरकार ने अपराध की जड़ पर प्रहार करने के लिए एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) का गठन किया. यह कोई साधारण पुलिस इकाई नहीं थी, बल्कि विशेष रूप से गैंगस्टरों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए बनाई गई फोर्स थी. इसे आधुनिक हथियार, तकनीकी संसाधन और पूरी स्वतंत्रता दी गई. इस फोर्स ने राज्यभर में सक्रिय कई गैंगस्टरों और उनके नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया. सरकार की इस त्वरित कार्रवाई ने यह साबित किया कि अब पंजाब में अपराध पर कोई समझौता नहीं होगा.
मान सरकार की सख्त नीतियों का असर जल्द ही आंकड़ों में दिखाई देने लगा. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की तुलना में 2022 में पंजाब में हत्या, अपहरण और चोरी जैसे अपराधों में कमी दर्ज की गई. यह बदलाव यह दर्शाता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति प्रभावी साबित हो रही है. पंजाब की अपराध दर अब देश के कई अन्य राज्यों से कम है, जो राज्य की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार का प्रमाण है.
पंजाब के लिए नशे की समस्या किसी अभिशाप से कम नहीं थी. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे खत्म करने के लिए ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ की घोषणा की. पुलिस ने बड़े पैमाने पर छापेमार अभियान चलाकर हजारों नशा तस्करों को गिरफ्तार किया. पहली बार राज्य में नशा तस्करों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाया गया. यह कार्रवाई केवल सजा नहीं, बल्कि एक सख्त संदेश थी कि अब नशे का कारोबार पंजाब में नहीं बचेगा.
AGTF ने गैंगस्टरों और आतंकवादी नेटवर्क के बीच हो रहे गठजोड़ को तोड़ने में भी सफलता हासिल की. पुलिस ने कई बार हथियार, विस्फोटक और ड्रोन के ज़रिए हो रही हथियारों की तस्करी का पर्दाफाश किया. RDX, IED और हैंड ग्रेनेड जैसे घातक हथियारों की बरामदगी ने दिखाया कि यह कार्रवाई केवल अपराध के खिलाफ नहीं, बल्कि राज्य की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए भी थी.
अपराध की तरह ही भ्रष्टाचार भी समाज को खोखला करता है. इस समस्या से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने ‘भ्रष्टाचार विरोधी एक्शन लाइन’ शुरू की, जिस पर आम लोग सीधे शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इस पहल ने सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी पर लगाम लगाई. सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि सरकार ने अपने ही मंत्रियों और अधिकारियों पर कार्रवाई करने से भी परहेज़ नहीं किया. इससे जनता के बीच यह भरोसा बढ़ा कि कानून सबके लिए समान है.
सरकार ने पंजाब पुलिस को आधुनिक बनाने पर विशेष ध्यान दिया. नई भर्तियाँ की गईं और सड़क सुरक्षा फोर्स जैसी नई इकाइयाँ स्थापित की गईं. मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी जिले में कानून-व्यवस्था बिगड़ने पर संबंधित एसएसपी और उपायुक्त को जवाब देना होगा. इस जवाबदेही की नीति ने पुलिस को और अधिक चुस्त, जिम्मेदार और जनसेवा के प्रति समर्पित बनाया है.
सरकार का मानना है कि कानून-व्यवस्था तभी मजबूत होती है जब जनता का विश्वास बढ़े. इसी सोच के तहत ‘मुख्यमंत्री सहायता केंद्र’ शुरू किए गए, जहाँ लोग अपनी शिकायतें आसानी से दर्ज करा सकते हैं और उनका समाधान समय पर प्राप्त कर सकते हैं. इस पारदर्शी व्यवस्था ने आम नागरिकों की परेशानियाँ कम कीं और सुशासन की दिशा में बड़ा कदम साबित हुई.
भगवंत मान सरकार के सख्त कदमों का सबसे बड़ा लाभ पंजाब के युवाओं को मिल रहा है. जब गैंगस्टर और नशे का जाल टूटता है, तो युवाओं को एक सुरक्षित, नशामुक्त और अवसरों से भरा माहौल मिलता है. अब वे अपने सपनों को साकार करने की दिशा में बढ़ सकते हैं. यह केवल कानून व्यवस्था का सुधार नहीं, बल्कि पंजाब के उज्ज्वल भविष्य की नींव है.