CM मान का मास्टरस्ट्रोक: गांव-गांव में तैनात होंगे प्रशिक्षित फेलो, हर गली-मोहल्ले में लड़ेंगे नशे से जंग

नशे की महामारी से जूझ रहे पंजाब के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक गेम चेंजर रणनीति का ऐलान किया है. सरकार अब नशे के खिलाफ जंग को सिर्फ पुलिस थानों और अदालतों तक सीमित नहीं रखेगी, बल्कि हर गांव, हर मोहल्ले में नशामुक्ति के प्रशिक्षित योद्धा उतारेगी.

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चंडीगढ़: नशे की महामारी से जूझ रहे पंजाब के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक गेम चेंजर रणनीति का ऐलान किया है. सरकार अब नशे के खिलाफ जंग को सिर्फ पुलिस थानों और अदालतों तक सीमित नहीं रखेगी, बल्कि हर गांव, हर मोहल्ले में नशामुक्ति के प्रशिक्षित योद्धा उतारेगी. देश की पहली ‘लीडरशिप इन मेंटल हेल्थ फेलोशिप’ के जरिए पंजाब 35 ऐसे युवा पेशेवर तैयार करेगा जो नशे की लत से पीड़ित लोगों को बचाने और समाज को जागरूक करने का काम करेंगे. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) मुंबई के साथ मिलकर तैयार की गई यह योजना युध नशे विरुध अभियान का सबसे बड़ा हथियार साबित होगी. यह महज एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि नशामुक्त पंजाब बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है.

पंजाब सरकार की यह रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है- नशे के खिलाफ लड़ाई केवल आपूर्ति रोककर नहीं जीती जा सकती, बल्कि मांग को खत्म करना होगा. इसके लिए जरूरी है कि हर गांव और शहर में ऐसे लोग हों जो नशे की लत से ग्रस्त युवाओं की पहचान करें, उन्हें परामर्श दें और पुनर्वास की राह दिखाएं. युध नशे विरुध अभियान के तहत शुरू की गई यह दो साल की फेलोशिप इसी दिशा में एक ठोस कदम है. डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, मोहाली से संचालित इस कार्यक्रम में चुने गए 35 फेलो को नशे की रोकथाम, उपचार और पुनर्वास के हर पहलू में व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. वे सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जमीन पर काम करना सीखेंगे.

इस फेलोशिप का सबसे अनोखा पहलू यह है कि यह नशे की समस्या को जड़ से पकड़ने की कोशिश है. चयनित फेलो स्कूलों में जाकर बच्चों को नशे के खतरों के बारे में बताएंगे, कॉलेजों में युवाओं को जागरूक करेंगे और आंगनवाड़ी केंद्रों में महिलाओं को परिवार में नशे की पहचान और रोकथाम के बारे में शिक्षित करेंगे. TISS मुंबई की विशेषज्ञता और पंजाब सरकार की जमीनी पहुंच का यह मेल नशामुक्ति के क्षेत्र में एक नया प्रयोग है. DiTSU (District Task Force on Substance Use) जैसी विशेष इकाइयों के साथ काम करते हुए ये फेलो हर जिले में नशे की समस्या का नक्शा तैयार करेंगे और उसके हिसाब से समाधान खोजेंगे. यह वह रणनीति है जो समस्या को छुपाने की बजाय उसका डटकर सामना करती है.

पंजाब सरकार ने इस फेलोशिप के लिए पात्रता मानदंड बेहद स्पष्ट रखे हैं. मनोविज्ञान या सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर डिग्री के साथ-साथ नशामुक्ति या मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में दो साल का अनुभव जरूरी है. 32 वर्ष तक की आयु सीमा यह सुनिश्चित करती है कि ऊर्जावान और समर्पित युवा इस मिशन का हिस्सा बनें. लेकिन सबसे अहम शर्त है- समाज सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता. सरकार चाहती है कि ऐसे लोग आगे आएं जो नशे के खिलाफ लड़ाई को अपना व्यक्तिगत मिशन बना सकें. यह महज नौकरी नहीं, बल्कि पंजाब के भविष्य को संवारने का अवसर है। जो युवा इस चुनौती को स्वीकार करेंगे, वे इतिहास के साक्षी बनेंगे.

भगवंत मान सरकार का नशामुक्ति का विजन बिल्कुल साफ है- केवल कड़े कानून बनाने से नशा नहीं रुकेगा, बल्कि समाज को जागरूक और सशक्त बनाना होगा. पिछले कुछ वर्षों में पंजाब में सैकड़ों नशा तस्करों को जेल भेजा गया है, दर्जनों पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं और हजारों युवाओं को मुफ्त इलाज दिया गया है. लेकिन सरकार जानती है कि यह काफी नहीं है. अब जरूरत है एक ऐसी सेना की जो गांव-गांव, घर-घर जाकर नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाए. इस फेलोशिप के जरिए तैयार होने वाले 35 फेलो यही काम करेंगे. वे पंजाब के हर कोने में पहुंचेंगे और नशे की महामारी से लड़ने के लिए समुदाय को तैयार करेंगे। यह रंगला पंजाब के सपने को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है.

नशामुक्ति के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पहल की जमकर तारीफ की है. उनका कहना है कि पंजाब ने नशे की समस्या को स्वीकार करने और उससे लड़ने का साहस दिखाया है, जबकि अन्य राज्य इसे छुपाने में लगे हैं. जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि प्रशिक्षित पेशेवर गांवों में जाकर नशेड़ियों की पहचान करें और उन्हें इलाज की सुविधा मुहैया कराएं, तो नशे की महामारी पर काबू पाया जा सकता है. समाज में नशे को लेकर जो शर्म और कलंक है, उसे दूर करना भी इस कार्यक्रम का उद्देश्य है. यह सरकार की वह पहल है जो सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि असल जिंदगियों में बदलाव लाएगी.

इच्छुक युवा 7 दिसंबर 2025 तक <https://tiss.ac.in/lmhp> पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी - लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और नशामुक्ति के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव के आधार पर फेलो चुने जाएंगे. चयनित लोगों को TISS मुंबई जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से विश्वस्तरीय प्रशिक्षण मिलेगा और साथ ही पंजाब के नशामुक्ति आंदोलन का नायक बनने का मौका भी। यह वह अवसर है जहां सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक मकसद मिलता है। सरकार युवाओं को आह्वान कर रही है - अगर आपमें जुनून है, अगर आप पंजाब को बदलना चाहते हैं, तो आगे आइए और इस जंग का हिस्सा बनिए.

पंजाब सरकार का यह कदम दिखाता है कि नशामुक्ति केवल नारेबाजी का विषय नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई का मुद्दा है. जब अन्य राज्य नशे की समस्या को नकार रहे हैं, तब पंजाब ने TISS जैसे राष्ट्रीय संस्थान के साथ साझेदारी कर एक नया मॉडल पेश किया है. यह फेलोशिप सिर्फ पंजाब के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगी. भगवंत मान सरकार का संदेश बिल्कुल साफ है- नशा पंजाब की किस्मत नहीं, बल्कि एक चुनौती है जिसे हराया जा सकता है और यह लड़ाई केवल सरकार नहीं, बल्कि हर पंजाबी को मिलकर लड़नी होगी.

आने वाले वर्षों में जब पंजाब नशामुक्त होगा, तो इस फेलोशिप का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. 35 युवा फेलो जो आज प्रशिक्षण लेंगे, वे कल हजारों परिवारों को तबाही से बचाएंगे और परसों एक स्वस्थ, समृद्ध पंजाब की नींव रखेंगे. मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह मास्टरस्ट्रोक- नशे से लड़ने के लिए सिर्फ पुलिस नहीं, बल्कि समाज को हथियार बनाना- यही वह रास्ता है जो पंजाब को वाकई रंगला बना सकता है. यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि पंजाब की नई सुबह का ऐलान है। युध नशे विरुध अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि जमीन पर उतरने वाली हकीकत बन गया है.

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