भयानक बाढ के बाद मान सरकार ने तेज किया सफाई अभियान,लोगों की जिंदगी जल्दी पटरी पर लाने का संकल्प

पंजाब में हाल की भयानक बाढ़ ने राज्य को गहरी चोट पहुंचाई है. मानसून की असामान्य भारी बारिश और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों से अतिरिक्त पानी के कारण रावी, ब्यास और सतलुज नदियां उफान पर आ गईं, जिससे 1,900 से अधिक गांव जलमग्न हो गए.

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Courtesy: Social Media

Bhagwant Mann: पंजाब में हाल की भयानक बाढ़ ने राज्य को गहरी चोट पहुंचाई है. मानसून की असामान्य भारी बारिश और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों से अतिरिक्त पानी के कारण रावी, ब्यास और सतलुज नदियां उफान पर आ गईं, जिससे 1,900 से अधिक गांव जलमग्न हो गए. लगभग चार लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि 40 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं. यह 1988 के बाद का सबसे बुरा बाढ़ संकट माना जा रहा है. आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने अब राज्य को पटरी पर लाने के लिए एक बहुआयामी अभियान तेज कर दिया है. यह न केवल तत्काल राहत प्रदान करेगा, बल्कि दीर्घकालिक पुनर्निर्माण का आधार भी बनेगा.

बाढ़ का पानी अब कई क्षेत्रों से उतर चुका है, लेकिन गांवों में सिल्ट, कचरा और मलबा अब भी बिखरा पड़ा है. सरकार ने 2,300 से अधिक गांवों और वार्डों में 'महासफाई अभियान' शुरू किया है. प्रत्येक गांव में जेसीबी मशीनें, ट्रैक्टर-ट्रॉली और मजदूर दलों को तैनात किया जा रहा है. ये टीमें मलबा हटाने, मृत पशुओं का निपटान करने और उसके बाद फॉगिंग के जरिए बीमारी रोकथाम पर काम करेंगी.

सेहत से कोई लापरवाही नहीं

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने निर्देश दिए हैं कि 24 सितंबर तक सभी गांवों से मलबा हटा दिया जाए, 15 अक्टूबर तक सार्वजनिक स्थलों की मरम्मत पूरी हो और 22 अक्टूबर तक तालाबों की सफाई समाप्त हो जाए. इसके लिए 1,700 गजेटेड अधिकारी प्रत्येक प्रभावित गांव की निगरानी करेंगे, ताकि कार्य सुचारू रूप से चले. बाढ़ के बाद संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है. मान सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को शीर्ष प्राथमिकता दी है. 2,303 प्रभावित गांवों में व्यापक मेडिकल कैंप आयोजित किए जाएंगे. जहां पहले से 596 गांवों में आम आदमी क्लिनिक मौजूद हैं, वहां ये कैंप चलेंगे. शेष 1,707 गांवों में स्कूल, धर्मशाला, आंगनवाड़ी केंद्र या पंचायत भवनों का उपयोग होगा. 

पशुओं के साथ किसानों का भी पूरा ख्याल 

बाढ़ ने पशुधन को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, 713 गांवों में करीब 2.5 लाख पशु प्रभावित हुए हैं. वेटरनरी डॉक्टरों की विशेष टीमें गांव-गांव पहुंच चुकी हैं. खराब चारा साफ किया जा रहा है, किसानों को पोटैशियम परमैग्नेट उपलब्ध कराया जा रहा है. 30 सितंबर तक सभी प्रभावित पशुओं का टीकाकरण पूरा करने का लक्ष्य है. यह प्रयास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण साबित होगा.

किसानों की मुख्य चिंता क्षतिग्रस्त फसलों का निपटान है. सरकार ने 3.71 लाख एकड़ कृषि भूमि पर जमा सिल्ट के कारण प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है. साथ ही, वे जमा सिल्ट को बेचकर भी आय अर्जित कर सकेंगे. खरीद प्रक्रिया को गति देने के लिए 16 सितंबर से मंडियां चालू होंगी. क्षतिग्रस्त मंडियों की सफाई और मरम्मत तेजी से चल रही है, ताकि 19 सितंबर तक सभी केंद्र तैयार हो जाएं. यह कदम रबी फसल की बुआई को सुगम बनाएगा. केंद्र सरकार से 60,000 करोड़ रुपये की मांग के साथ-साथ, एनजीओ, युवा क्लबों और सामाजिक संगठनों से सहयोग की अपील की गई है. 

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