भारत में ब्रेन ट्यूमर का बढ़ रहा खतरा? किस उम्र को सबसे ज्यादा खतरा?

भारत में ब्रेन ट्यूमर की मृत्यु दर चिंताजनक है. खासकर युवाओं में इसके बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस के अनुसार, भारत में हर साल एक लाख में से 10 लोगों को CNS ट्यूमर का निदान होता है.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: Social Media

Brain Tumours: भारत में ब्रेन ट्यूमर की स्थिति वैश्विक औसत के समान है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के अनुसार, भारत में हर साल 28 हजार से अधिक नए मामले और 24 हजार से अधिक मौतें होती हैं. यह वैश्विक आंकड़ों के अनुरूप है.

GLOBOCAN 2020 के आंकड़े बताते हैं कि विश्व भर में ब्रेन और CNS ट्यूमर से 3,08,102 नए मामले और 2,51,329 मौतें दर्ज हुईं. भारत की स्थिति वैश्विक रुझानों से मेल खाती है. हालांकि भारत में ब्रेन ट्यूमर अन्य देशों की तुलना में ज्यादा आम नहीं है, लेकिन इसकी गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

किन्हें है ज्यादा खतरा?

ब्रेन ट्यूमर हर उम्र के लोगों को हो सकता है. 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा जोखिम में हैं. बच्चों में ग्लियोमा ट्यूमर आम है. वयस्कों में मेनिंगियोमा ज्यादा देखा जाता है. न्यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि महिलाओं में यह पुरुषों की तुलना में थोड़ा ज्यादा है. ब्रेन ट्यूमर का प्रकार उम्र और लिंग पर निर्भर करता है. बच्चों में ग्लियोमा ज्यादा होता है, जो मस्तिष्क के ऊतकों को प्रभावित करता है. वयस्कों में मेनिंगियोमा, जो मस्तिष्क की परतों को प्रभावित करता है, अधिक आम है. ट्यूमर का व्यवहार और निदान भी रोगी की उम्र पर निर्भर करता है.

जागरूकता और निदान की जरूरत

भारत में ब्रेन ट्यूमर की मृत्यु दर चिंताजनक है. खासकर युवाओं में इसके बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस के अनुसार, भारत में हर साल एक लाख में से 10 लोगों को CNS ट्यूमर का निदान होता है. यह वैश्विक औसत के बराबर है. फिर भी, समय पर निदान और उपचार की कमी इसे और खतरनाक बनाती है. ब्रेन ट्यूमर से निपटने के लिए जागरूकता जरूरी है. शीघ्र निदान और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मृत्यु दर को कम कर सकती हैं. इससे बचने के लिए लोगों लगातार जांच कराते रहने की सलाह दी जाती है. डॉक्टरों द्वारा सिरदर्द, चक्कर, और दृष्टि में बदलाव जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करने की सलाह दी जाती है.

Brain Tumours: भारत में ब्रेन ट्यूमर की स्थिति वैश्विक औसत के समान है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के अनुसार, भारत में हर साल 28 हजार से अधिक नए मामले और 24 हजार से अधिक मौतें होती हैं. यह वैश्विक आंकड़ों के अनुरूप है.

GLOBOCAN 2020 के आंकड़े बताते हैं कि विश्व भर में ब्रेन और CNS ट्यूमर से 3,08,102 नए मामले और 2,51,329 मौतें दर्ज हुईं. भारत की स्थिति वैश्विक रुझानों से मेल खाती है. हालांकि भारत में ब्रेन ट्यूमर अन्य देशों की तुलना में ज्यादा आम नहीं है, लेकिन इसकी गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

किन्हें है ज्यादा खतरा?

ब्रेन ट्यूमर हर उम्र के लोगों को हो सकता है. 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा जोखिम में हैं. बच्चों में ग्लियोमा ट्यूमर आम है. वयस्कों में मेनिंगियोमा ज्यादा देखा जाता है. न्यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि महिलाओं में यह पुरुषों की तुलना में थोड़ा ज्यादा है. ब्रेन ट्यूमर का प्रकार उम्र और लिंग पर निर्भर करता है. बच्चों में ग्लियोमा ज्यादा होता है, जो मस्तिष्क के ऊतकों को प्रभावित करता है. वयस्कों में मेनिंगियोमा, जो मस्तिष्क की परतों को प्रभावित करता है, अधिक आम है. ट्यूमर का व्यवहार और निदान भी रोगी की उम्र पर निर्भर करता है.

जागरूकता और निदान की जरूरत

भारत में ब्रेन ट्यूमर की मृत्यु दर चिंताजनक है. खासकर युवाओं में इसके बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस के अनुसार, भारत में हर साल एक लाख में से 10 लोगों को CNS ट्यूमर का निदान होता है. यह वैश्विक औसत के बराबर है. फिर भी, समय पर निदान और उपचार की कमी इसे और खतरनाक बनाती है. ब्रेन ट्यूमर से निपटने के लिए जागरूकता जरूरी है. शीघ्र निदान और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मृत्यु दर को कम कर सकती हैं. इससे बचने के लिए लोगों लगातार जांच कराते रहने की सलाह दी जाती है. डॉक्टरों द्वारा सिरदर्द, चक्कर, और दृष्टि में बदलाव जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करने की सलाह दी जाती है.

Tags :