'तत्काल युद्धविराम' के लिए एकमत हुए अफगानिस्तान-पाकिस्तान, दोहा वार्ता में जानें क्या हुआ

Doha Talks: कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता हुई. कतर और तुर्की की मध्यस्थता में दोनों देश तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए. कतर के विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह वार्ता सीमा पर तनाव कम करने और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए महत्वपूर्ण कदम है.

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Courtesy: X (@MJalalAf)

Doha Talks: कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता हुई. कतर और तुर्की की मध्यस्थता में दोनों देश तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए. कतर के विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह वार्ता सीमा पर तनाव कम करने और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए महत्वपूर्ण कदम है. दोनों पक्षों ने शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए तंत्र स्थापित करने का वादा किया.

कतर के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों देश युद्धविराम को मज़बूत करने के लिए जल्द ही अनुवर्ती बैठकें करेंगे. इन बैठकों का लक्ष्य युद्धविराम को स्थायी बनाना और दोनों देशों में सुरक्षा सुनिश्चित करना है. कतर और तुर्की ने इस प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका निभाने की प्रतिबद्धता जताई. यह कदम क्षेत्र में शांति के लिए उम्मीद की किरण है.

युद्धविराम पर सहमत होने के बाद हमला 

दोनों देशों ने इस हफ्ते की शुरुआत में 48 घंटे के युद्धविराम पर सहमति जताई थी. लेकिन शुक्रवार शाम को यह समाप्त होने के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में हवाई हमले किए. पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि यह हमला हाफिज गुल बहादुर समूह के खिलाफ था, जो ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में आत्मघाती हमले के लिए जिम्मेदार था. अफगानिस्तान ने इन हमलों की कड़ी आलोचना की. अफगानिस्तान ने दावा किया कि पाकिस्तान के हवाई हमलों में 10 नागरिक मारे गए. इनमें महिलाएं, बच्चे और तीन क्रिकेटर शामिल थे. इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया. अफगान क्रिकेट बोर्ड ने अगले महीने पाकिस्तान में होने वाली त्रिकोणीय क्रिकेट श्रृंखला रद्द कर दी. इस श्रृंखला में श्रीलंका भी हिस्सा लेने वाला था.

तालिबान ने की कड़ी निंदा

तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने इन हमलों को अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा कि यह कदम भड़काऊ है और संघर्ष को बढ़ाने का जानबूझकर किया गया प्रयास है. तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसकी निंदा करने की मांग की. विशेषज्ञों का मानना है कि युद्धविराम को स्थायी बनाने के लिए दोनों देशों को विश्वास बहाली पर काम करना होगा. क्षेत्र में शांति के लिए यह वार्ता एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.

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