नई दिल्ली: पूर्व अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने ट्रंप प्रशासन की भारत नीति को कड़ी आलोचना का निशाना बनाया. उन्होंने इसे "बड़ी गलती" बताया. यह बयान भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के बीच आया है. रायमोंडो ने कहा कि हमारे सभी सहयोगियों को नाराज करना मेरी आलोचना सूची में शीर्ष पर है. उन्होंने ट्रंप पर आरोप लगाया कि वे मित्र देशों को दूर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका की अकेला चलने की नीति विनाशकारी है.
पूर्व सचिव ने जोर दिया कि मजबूत संबंधों के बिना अमेरिका कमजोर दिखता है. यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से सहयोग जरूरी है. रायमोंडो ने स्पष्ट कहा कि हम भारत के साथ बड़ी गलती कर रहे हैं. यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद आई. इसमें आधा टैरिफ रूस से तेल व्यापार पर है.
ट्रंप दावा करते हैं कि भारत जल्द रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा. अमेरिका ने रूसी ऊर्जा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं. यह यूक्रेन युद्ध में पुतिन पर दबाव की रणनीति है. इस महीने रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगे. जनवरी में बाइडेन ने सर्गुटनेफ्टेगास और गज़प्रोम नेफ्ट को ब्लैकलिस्ट किया. ये चार कंपनियां रूस के 70% तेल निर्यात संभालती हैं. ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत के रूसी तेल आयात में इनका योगदान 80% से ज्यादा रहा. भारत रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखे हुए है. जीना रायमोंडो बाइडेन प्रशासन में वाणिज्य सचिव थीं. पिछले नवंबर में उन्होंने पीयूष गोयल से मुलाकात की. दोनों ने रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की.
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में हॉवर्ड लुटनिक ने उनका पद संभाला. लुटनिक टैरिफ के समर्थक हैं. उन्होंने भारत से रूसी तेल बंद करने की शर्त दोहराई. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि दबाव में सौदा नहीं होगा. पिछले हफ्ते उन्होंने कहा कि हम अमेरिका से बात कर रहे हैं. लेकिन जल्दबाजी या बंदूक तानकर सौदे नहीं करते. भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता दे रहा है. ट्रंप के दावों के बावजूद रूस से तेल आयात जारी है. ट्रंप प्रशासन की नीति से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ सकता है. व्यापार वार्ता प्रभावित हो सकती है. दोनों देशों को संतुलित रास्ता तलाशना होगा. रायमोंडो की आलोचना से साफ है कि अमेरिका की एकतरफा नीति सहयोगियों को खो रही है. भारत मजबूती से अपनी स्थिति बनाए रखेगा.