BRICS 2025: ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में रविवार को 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया. जिसमें इस समूह ने इंडोनेशिया का नए सदस्य के रूप में स्वागत किया. इसके साथ ही बेलारूस, बोलीविया, कजाकिस्तान, नाइजीरिया, मलेशिया, थाईलैंड, क्यूबा, वियतनाम, युगांडा और उज्बेकिस्तान को भागीदार देशों के रूप में शामिल किया गया. संयुक्त घोषणापत्र में ब्रिक्स ने वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स ने जलवायु वित्त, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के वैश्विक शासन और सामाजिक रोगों के उन्मूलन के लिए नई पहल शुरू की. संयुक्त घोषणा में कहा गया कि ये कदम वैश्विक समस्याओं के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान खोजने की दिशा में ब्रिक्स के सामूहिक प्रयासों को दर्शाते हैं. इन पहलों का उद्देश्य पर्यावरण, तकनीक और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना है.
शिखर सम्मेलन के सत्र 'शांति और सुरक्षा तथा वैश्विक शासन में सुधार' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार को समय के साथ बदलाव की क्षमता का प्रतीक बताया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और विकास बैंकों में सुधार की जरूरत पर आवाज उठाई. पीएम मोदी ने कहा कि तकनीक हर हफ्ते बदल रही है, लेकिन वैश्विक संस्थान 80 साल पुराने ढांचे पर चल रहे हैं. 20वीं सदी का टाइपराइटर 21वीं सदी का सॉफ्टवेयर नहीं चला सकता. उनकी यह टिप्पणी वैश्विक शासन में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है.
ब्रिक्स की स्थापना 2006 में रूस, भारत और चीन के नेताओं की बैठक के बाद हुई थी. इसे औपचारिक रूप 2006 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान विदेश मंत्रियों की बैठक में दिया गया. हालांकि पहला शिखर सम्मेलन 2009 में हुआ, जिसके बाद 2010 में दक्षिण अफ्रीका को भी इस समूह में शामिल किया गया. जिसके बाद इसका नाम BRIC से BRICS कर दिया गया. 2011 में सान्या शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार हिस्सा लिया. 2024 में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ब्रिक्स के पूर्ण सदस्य बने. जनवरी 2025 में इंडोनेशिया ने भी पूर्ण सदस्यता हासिल की. इसके साथ ही 10 अन्य देशों को भागीदार देशों के रूप में शामिल किया गया. यह विस्तार ब्रिक्स की वैश्विक पहुंच और प्रभाव को और मजबूत करता है.