Bangladesh Pakistan Defence Deal: बीते कुछ महीनों में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच सैन्य रिश्ते अचानक तेज़ी से मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं. ढाका में पाकिस्तानी रक्षा प्रतिनिधिमंडलों की बढ़ती आवाजाही ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देश रणनीतिक सहयोग के नए अध्याय की ओर बढ़ चुके हैं.
रविवार को Heavy Industries Taxila (HIT) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शाकिर उल्लाह खत्तक की ढाका यात्रा इसी क्रम की सबसे अहम कड़ी रही. यह पाकिस्तान का वह सरकारी रक्षा उत्पादन संगठन है जो टैंक, बख्तरबंद वाहन, असॉल्ट राइफ़ल और सैन्य वाहन तैयार करता है. इस यात्रा के बाद यह अनुमान और मजबूत हो गया है कि बांग्लादेश पाकिस्तान से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदने की तैयारी में है.
ढाका में जनरल वेकर-उज-जमां और पाकिस्तानी सैन्य प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में संभावित रक्षा सहयोग पर विस्तृत चर्चा हुई. पिछले एक महीने में यह पाकिस्तान की दूसरी हाई-लेवल सैन्य यात्रा थी, जो डील के महत्व को और बढ़ा देती है.
कौन से हथियार ले सकता है बांग्लादेश?
HIT के जिन हथियारों पर बातचीत आगे बढ़ रही है, उनमें शामिल हैं—
अगर यह सौदा होता है, तो बांग्लादेश अपनी थल सेना के आधुनिकीकरण में एक बड़ा कदम बढ़ाएगा, और पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण रक्षा बाजार फिर से हासिल कर लेगा.
क्यों बढ़ रही हैं ढाका-इस्लामाबाद की नजदीकियां?
सत्ता परिवर्तन के बाद बने बांग्लादेश के अंतरिम प्रशासन पर आरोप है कि उसके शीर्ष सलाहकार मोहम्मद यूनुस रक्षा नीतियों में पाकिस्तान-समर्थित अधिकारियों की सलाह पर निर्भर हो रहे हैं. कुछ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, जिन्हें कट्टर और अतिवादी रुख का माना जाता है, पाकिस्तान के साथ पुराने रिश्ते फिर से जीवित करने के समर्थक हैं. इसी लॉबी के प्रभाव में पिछले दो महीनों में पाकिस्तान-बांग्लादेश सैन्य सहयोग में तेज़ बढ़ोतरी देखी गई है. एक रिटायर्ड मेजर जनरल के भारत-विरोधी बयान भी इसी बदलते माहौल का संकेत माने जा रहे हैं.
किन चार मुद्दों पर बनी सहमति?
अक्टूबर से नवंबर के बीच चार पाकिस्तानी सैन्य प्रतिनिधिमंडलों की यात्राओं में निम्न क्षेत्रों में सहमति बनती दिखी—
भारत के लिए दोहरी चुनौती का संकेत
सूत्रों के अनुसार, दोनों देश एक ऐसे रक्षा समझौते पर भी चर्चा कर रहे हैं जो पाकिस्तान–सऊदी “न्यूक्लियर शील्ड मॉडल” जैसा हो सकता है. यदि ऐसा कोई ढांचा बनता है, तो भारत को भविष्य में पश्चिम (पाकिस्तान) और पूर्व (बांग्लादेश) दोनों दिशाओं में रणनीतिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है.
इसके अलावा, हाल के पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडलों में ISI अधिकारियों की मौजूदगी और कट्टरपंथी बांग्लादेशी गुटों के साथ हुई उनकी गुप्त मुलाकातों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है.