रातले और किशनगंगा प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान की 'नई चाल', भारत ने दिया ऐसे जवाब 

भारत ने हाल ही में हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) के उस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय कोर्ट की अधिकारिता को प्रभावित नहीं करता और इसका फैसला दोनों पक्षों पर बाध्यकारी है.

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Indus Water Treaty: भारत ने हाल ही में हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) के उस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय कोर्ट की अधिकारिता को प्रभावित नहीं करता और इसका फैसला दोनों पक्षों पर बाध्यकारी है.

भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस फैसले को पाकिस्तान के इशारे पर किया गया नाटक करार देते हुए इसे अवैध और शून्य घोषित किया. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत इस कोर्ट की अधिकारिता को मान्यता नहीं देता, खासकर जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित मामलों में.

पाक की जवाबदेही से बचने की कोशिश

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह मध्यस्थता न्यायालय 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन करते हुए गठित किया गया है, जिसके कारण इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है. भारत ने इसे पाकिस्तान की उस हास्यास्पद कोशिश का हिस्सा बताया, जिसके जरिए वह आतंकवाद के लिए अपनी जवाबदेही से बचने का प्रयास कर रहा है.

मंत्रालय ने अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने अपनी संप्रभुता के अधिकारों का उपयोग करते हुए संधि को निलंबित किया था, जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह बंद नहीं करता.

भारत की दृढ़ स्थिति

भारत ने हमेशा से इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय के अस्तित्व को अवैध माना है. भारत ने स्पष्ट किया कि वह संधि के दायित्वों से तब तक मुक्त है, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता. यह रुख भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को और गहरा करता है.

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