भारत-चीन सीमा विवाद खत्म करने के लिए बनेगी कमेट, सुलह की कोशिश कर रहे दोनों देश

भारत और चीन ने सीमा विवाद को चरणबद्ध तरीके से सुलझाने का फैसला किया है. इसके लिए कम विवादास्पद क्षेत्रों की पहचान की जाएगी. दोनों पक्षों ने एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह गठित करने पर सहमति जताई है, जिसकी अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव करेंगे.

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Courtesy: Social Media

India-China Boundary Resolution: भारत और चीन सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. दोनों देशों ने सीमा के कम विवादास्पद हिस्सों का सीमांकन करने और स्थायी समाधान की ओर बढ़ने का फैसला किया है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मंगलवार को अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई विशेष प्रतिनिधि वार्ता में यह सहमति बनी. यह कदम दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच विश्वास बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

भारत और चीन ने सीमा विवाद को चरणबद्ध तरीके से सुलझाने का फैसला किया है. इसके लिए कम विवादास्पद क्षेत्रों की पहचान की जाएगी. दोनों पक्षों ने एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह गठित करने पर सहमति जताई है, जिसकी अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव करेंगे. यह समूह सीमा के उन हिस्सों की पहचान करेगा, जहां टकराव की संभावना कम है. इसके बाद इन क्षेत्रों का सीमांकन होगा और अंत में स्थायी सीमा के लिए स्तंभ स्थापित किए जाएंगे. यह रणनीति पूरे विवाद को एक साथ सुलझाने के बजाय छोटे-छोटे कदमों के जरिए प्रगति सुनिश्चित करेगी.

दोनों देशों के सुलझेंगे रिश्ते 

दोनों देशोें के बीच मई 2020 की झड़पों के बाद पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी पूरी हो चुकी है. अब दोनों देश गैर-आक्रामक रुख अपनाने पर सहमत हुए हैं. इसके तहत लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से टैंक, रॉकेट और तोपों को गैर-खतरनाक स्थिति में ले जाया जाएगा. भारत के पहाड़ी क्षेत्रों और चीन के समतल पठार को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाएगा. इससे भविष्य में सैन्य टकराव की आशंका कम होगी. हालांकि, बफर जोन का मुद्दा अभी सुलझाया जाना बाकी है.

व्यापार और कूटनीतिक संबंधों को मिलेगी मजबूती 

दोनों देश अप्रैल 2020 के स्तर तक संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले साल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी. दोनों नेताओं के 31 अगस्त को तियानजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में फिर से मिलने की उम्मीद है. यह मुलाकात दोनों देशों के बीच सहयोग और शांति को बढ़ावा देगी. भारत, चीन की क्षेत्रीय गतिविधियों, खासकर पाकिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप में उसकी मौजूदगी को लेकर सतर्क है. फिर भी, दोनों देशों ने आपसी संवेदनशीलता और स्वायत्तता के आधार पर शांति बनाए रखने का संकल्प लिया है. यह कदम न केवल सीमा विवाद को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंधों को भी मजबूत करेगा.

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