Air India Plane Crash Compensation: एयर इंडिया ने फ्लाइट 171 दुर्घटना के मुआवजे को लेकर लगे आरोपों का खंडन किया है. एयरलाइन ने इसे 'निराधार और गलत' बताया. 12 जून को हुई इस दुर्घटना में 260 लोगों की जान गई थी. एयरलाइन ने स्पष्ट किया कि उनकी प्रक्रियाएं पारदर्शी हैं और परिवारों की मदद के लिए हैं.
फ्लाइट 171 के हादसे में 241 यात्री और 19 लोग जमीन पर मारे गए. यह 30 साल में भारत की सबसे भीषण विमान दुर्घटना थी. कुछ परिवारों ने आरोप लगाया कि एयर इंडिया ने मुआवजे के लिए दबाव डाला. यूके की लॉ फर्म स्टीवर्ट्स, जो 40 से ज्यादा परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रही है, ने कहा कि एयरलाइन ने जटिल प्रश्नावली थमाकर परिवारों पर दबाव बनाया.
एयर इंडिया ने कहा कि प्रश्नावली का मकसद केवल पारिवारिक रिश्तों को सत्यापित करना था. यह अंतरिम भुगतान को सही वितरण के लिए जरूरी है. एयरलाइन ने बताया कि फॉर्म व्यक्तिगत रूप से या ईमेल से जमा किए जा सकते हैं. कोई कर्मचारी बिना बुलाए घर नहीं गया. अंतिम संस्कार, आवास और अन्य मदद के लिए सहायक कर्मचारी तैनात हैं. एयर इंडिया ने 47 परिवारों को अंतरिम भुगतान किया. 55 अन्य परिवारों के दस्तावेज प्रक्रिया में हैं. टाटा समूह ने प्रत्येक मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया. साथ ही, दीर्घकालिक सहायता के लिए 500 करोड़ रुपये का ट्रस्ट बनाया जा रहा है.
स्टीवर्ट्स के वकील पीटर नीनान ने प्रश्नावली की आलोचना की. उन्होंने कहा कि इसमें जटिल कानूनी शब्द हैं, जिन्हें समझाने की कोशिश नहीं की गई. नीनान ने दावा किया कि यह जानकारी भविष्य में परिवारों के खिलाफ इस्तेमाल हो सकती है. वकीलों का कहना है कि परिवारों को बिना कानूनी सलाह के फॉर्म भरने का दबाव डाला गया. इससे मुआवजा राशि प्रभावित हो सकती है. वकीलों ने परिवारों को सलाह दी कि वे फॉर्म न भरें. वे कानूनी रास्तों से भुगतान सुनिश्चित करेंगे. स्टीवर्ट्स, नानावटी एंड नानावटी और अमेरिकी लॉ फर्म्स मिलकर एयर इंडिया और बोइंग के खिलाफ दावे तैयार कर रहे हैं. उनका मानना है कि प्रश्नावली भविष्य के दावों को कमजोर कर सकती है. यह विवाद आने वाले हफ्तों में और बढ़ सकता है. परिवार और कानूनी टीमें हादसे की जिम्मेदारी तय करने की कोशिश में हैं.