SCO बैठक में नहीं बनी सभी देशों की सहमति, विदेश मंत्रालय ने बताया क्या कुछ हुआ?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि दो दिन तक चली इस बैठक में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत संदेश देने की मांग की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में सभी देशों से आतंकवाद के हर रूप का मिलकर मुकाबला करने का आह्वान किया.

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Courtesy: Social Media

SCO Meeting: शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान जारी नहीं किया जा सका. विदेश मंत्रालय ने बताया कि आतंकवाद के मुद्दे पर सदस्य देशों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई. भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया, लेकिन एक देश ने इसे स्वीकार नहीं किया.  

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि दो दिन तक चली इस बैठक में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत संदेश देने की मांग की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में सभी देशों से आतंकवाद के हर रूप का मिलकर मुकाबला करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवादी गतिविधियों के जिम्मेदार लोगों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है.  

बैठक में राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

जायसवाल ने कहा कि भारत चाहता था कि संयुक्त बयान में आतंकवाद के खिलाफ चिंता स्पष्ट रूप से दिखे, लेकिन एक देश को यह मंजूर नहीं था. इसलिए संयुक्त बयान को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में एससीओ की वैश्विक भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एससीओ वैश्विक जीडीपी का 30% और दुनिया की 40% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा, संरक्षा और स्थिरता को साझा जिम्मेदारी बताया. सिंह ने कहा कि यह जिम्मेदारी सभी सदस्य देशों के लिए प्रगति और बेहतर जीवन का रास्ता खोल सकती है.  

आधुनिक खतरों का सामना जरूरी

राजनाथ सिंह ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, साइबर खतरों और हाइब्रिड युद्ध जैसी नई चुनौतियों पर ध्यान खींचा. उन्होंने आतंकवादियों द्वारा ड्रोन जैसी उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल पर चिंता जताई. साथ ही, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि कोई भी देश अकेले इन चुनौतियों से नहीं निपट सकता. उन्होंने वैश्विक व्यवस्था में सहयोग और संवाद बढ़ाने की वकालत की. रक्षा मंत्री ने बहुपक्षीय ढांचे में सुधार की बात उठाई. उन्होंने कहा कि संघर्षों को रोकने के लिए देशों के बीच अधिक संवाद और सहयोग जरूरी है. भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, लेकिन सहमति की कमी ने संयुक्त बयान को रोक दिया.

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