Axiom Mission 4: भारत रचेगा इतिहास! शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार, काउंटडाउन शुरू

शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के पायलट हैं. यह मिशन नासा, इसरो और स्पेसएक्स का संयुक्त प्रयास है. शुक्ला के साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी हैं. मिशन का नेतृत्व अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन करेंगी.

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Courtesy: Social Media

Axiom Mission 4: भारत के नागरिकों के लिए आज गौरव का दिन है. भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज अंतरिक्ष की उड़ान भरने को तैयार हैं. वह एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) जाएंगे. यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है. शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे, जिन्हेें 41 सालों बाद यह मौका मिला है.

शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के पायलट हैं. यह मिशन नासा, इसरो और स्पेसएक्स का संयुक्त प्रयास है. शुक्ला के साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी हैं. मिशन का नेतृत्व अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन करेंगी. यह मिशन भारतीय समयनुसार दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा से लॉन्च होगा. स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट ड्रैगन अंतरिक्ष यान को ले जाएगा.

14 दिन तक ISS पर करेंगे अध्ययन

लॉन्च के बाद ड्रैगन यान 28 घंटे तक शून्य गुरुत्वाकर्षण में यात्रा करेगा. यह 26 जून को शाम 4:30 बजे (IST) आईएसएस से जुड़ेगा. मिशन को कई बार स्थगित किया गया. मौसम और तकनीकी खराबी इसका कारण थे. अब मौसम अनुकूल है. लॉन्च की उम्मीदें बढ़ गई हैं. शुक्ला 14 दिन तक आईएसएस पर रहेंगे. वह सात भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. इनमें बीज अंकुरण, टार्डिग्रेड्स की जीवटता, मांसपेशियों का उत्थान और संज्ञानात्मक प्रदर्शन के अध्ययन शामिल हैं. ये प्रयोग गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसरो के तुषार फडनीस ने कहा कि यह मिशन भारत को अंतरिक्ष में अनुभव देगा. शुक्ला ने कहा कि यह मिशन भारत के लिए मील का पत्थर है. मैं देशवासियों से प्रार्थना करने की अपील करता हूं. वह अंतरिक्ष से पीएम मोदी और स्कूली छात्रों से बात करेंगे. यह मिशन युवाओं को प्रेरित करेगा. शुक्ला भारतीय खाने जैसे आमरस और मूंग दाल हलवा भी साथ ले जा रहे हैं.

हजारों घंटे उड़ान का अनुभव

लखनऊ में जन्मे शुक्ला 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए. उनके पास दो हजार से भी अधिक घंटे तक उड़ान का अनुभव है. उन्होंने सुखोई-30, मिग-21 और जगुआर जैसे कई विशाल विमान उड़ाया है. 2019 में इसरो ने उन्हें चुना था. उन्होंने रूस और भारत में कई कठिन ट्रेनिंग ली है. इसके बाद उन्हें गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया है. एक्सिओम-4 मिशन को कई बार टाला गया. मई 2025 में निर्धारित लॉन्च जून तक खिसक गया. फाल्कन-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन रिसाव और मौसम ने देरी की. अब सभी समस्याएं हल हो गई हैं. इसरो और नासा ने इसे मंजूरी दी. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई दिशा देगा. गगनयान मिशन 2027 में होगा. शुक्ला का अनुभव इसमें मदद करेगा. भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाना चाहता है. 2040 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने का लक्ष्य है.

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