Lok Sabha Election 2024: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नरेंद्र मोदी 8 जून को रात 8 बजे शपथ ले सकते हैं, क्योंकि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए ने लोकसभा चुनाव में 293 सीटें जीत कर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है. वही हम बात करें विपक्षी दल इंडिया गठबंधन ने तमाम एग्जिट पोल के गलत साबित करते हुए 234 सीट जितने मे कामयाब हुई है.नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल भूटान वह मॉरीशस के नेताओं को भी आमंत्रित किए जाने की संभावना जताई जा रही है.
2019 के लोकसभा चुनावों के बाद भारत ने नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए बिम्सटेक देशों के नेताओं को आमंत्रित किया था. बिम्सटेक एक क्षेत्रीय समूह है जिसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल है.
2019 में इस कार्यक्रम में वीवीआईपी सहित 8,000 से अधिक अतिथि शामिल हुए. साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तो उस समय के तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के नेताओं ने शपथ समारोह में भाग लिया था.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह पता चला कि बुधवार को भावी प्रधानमंत्री मोदी ने रानिल विक्रमसिंघे को फोन कर शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया. वही श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, "बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया, जिसे राष्ट्रपति यूएनपी ने स्वीकार कर लिया.
एएनआई के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी फोन पर बातचीत की और दोनों नेताओं ने 'विकसित भारत 2047' और 'स्मार्ट बांग्लादेश 2041' के विजन को हासिल करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने की कसम खाई. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो एनडीए की जीत पर नरेंद्र मोदी को बधाई देने वाले पहले विदेशी नेताओं में से थीं, नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण को स्वीकार कर लिया. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और भूटानी प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ को भी शपथ ग्रहण समारोह मे आमंत्रित किए जाने की संभावना है.
साल 2019 में नरेंद्र मोदी के साथ 24 केंद्रीय मंत्रियों ने शपथ ली थी. राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति ने 24 राज्य मंत्रियों एमओएस और 9 एमओएस (स्वतंत्र प्रभार) को भी शपथ दिलाई था. इस बार मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में सहयोगी दलों का अधिक प्रतिनिधित्व होने की संभावना दिखाई दे रही है, क्योंकि बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल करने से दूर रह गई.
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