NCERT: राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 8वीं क्लास की सामाजिक विज्ञान यानी एसएसटी की नई पाठ्यपुस्तक ‘समाज की खोज: भारतीय और उससे आगे’ (भाग 1) जारी की है. इस किताब को चालू शैक्षणिक सत्र में उपयोग किया जाएगा. इस किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल के इतिहास को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है. NCERT ने इस पुस्तक में धार्मिक असहिष्णुता और क्रूरता के उदाहरणों को शामिल किया है.
पहले कक्षा 7 में 13वीं से 18वीं शताब्दी का इतिहास पढ़ाया जाता था. अब नया पाठ्यक्रम इसे केवल कक्षा 8 में शामिल करता है. पुस्तक का अध्याय ‘भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्माण’ 13वीं से 17वीं शताब्दी के इतिहास को कवर करता है. इसमें दिल्ली सल्तनत का उत्थान और पतन, विजयनगर साम्राज्य, मुगल शासन और सिखों का उदय शामिल है.
नई पुस्तक में बाबर को क्रूर और निर्दयी विजेता बताया गया है, जिसने शहरों की आबादी का कत्लेआम किया. अकबर के शासन को क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण कहा गया है. औरंगज़ेब को मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने वाला शासक करार दिया गया है. सल्तनत और मुगल काल में मंदिरों पर हमलों और शासकों की क्रूरता के कई उदाहरण दिए गए हैं. ये विवरण पहले की कक्षा 7 की पाठ्यपुस्तक में नहीं थे. एनसीईआरटी ने कहा कि ये ऐतिहासिक घटनाएं भारतीय इतिहास का हिस्सा हैं. इन्हें पुस्तक में शामिल करने का उद्देश्य इतिहास के अंधकारमय कालखंडों पर टिप्पणी करना है. संस्था ने जोर दिया कि विवरण साक्ष्य-आधारित और संतुलित हैं. साथ ही, एक अस्वीकरण नोट जोड़ा गया है. इसमें कहा गया है कि अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. इतिहास से सबक लेकर बेहतर भविष्य बनाने पर जोर दिया गया है.
नई शिक्षा नीति के अनुरूप कदम
एनसीईआरटी की यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023 के तहत है. अब तक कक्षा 1 से 4, 6 और 7 के लिए नई पाठ्यपुस्तकें जारी हो चुकी हैं. यह पुस्तक छात्रों को इतिहास के प्रति ईमानदार और संतुलित दृष्टिकोण देगी. एनसीईआरटी का कहना है कि इतिहास को शुद्ध नहीं किया गया है. इसका मकसद छात्रों को अतीत से सबक लेने के लिए प्रेरित करना है. यह बदलाव शिक्षा क्षेत्र में चर्चा का विषय बन सकता है.