Bubble Tea: बबल टी, जिसे बोबा भी कहते हैं, आज भारत में युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो रही है. ताइवान की सड़कों से शुरू हुआ यह पेय अब वैश्विक सनसनी बन चुका है. कॉलेज कैंटीन से लेकर इंस्टाग्राम तक, हर जगह बबल टी की धूम है. जेनरेशन Z इसे सिर्फ पेय नहीं, बल्कि अपनी पहचान का हिस्सा मानती है.
बबल टी एक अनोखा पेय है. इसे काली या हरी चाय, दूध और चबाने वाले टैपिओका पर्ल्स से बनाया जाता है. टैपिओका पर्ल्स कसावा स्टार्च से बनते हैं. ये ग्लूटेन-मुक्त और हल्के मीठे होते हैं. फल, जेली या पॉपिंग बोबा जैसी टॉपिंग्स इसे और खास बनाती हैं. यह पेय हर स्वाद और पसंद के लिए अनुकूलित किया जा सकता है.
बबल टी बनाना एक कला है. पहले टैपिओका पर्ल्स को उबालकर नरम किया जाता है. फिर उन्हें ठंडे पानी से धोया जाता है. अलग से चाय उबालकर ठंडी की जाती है. गिलास में पर्ल्स डाले जाते हैं. फिर चाय, दूध या जूस डाला जाता है. इसे चीनी या चाशनी से मीठा किया जाता है. बर्फ डालकर मोटे स्ट्रॉ के साथ परोसा जाता है. हर घूंट में पर्ल्स का मजा आता है. बबल टी में कुछ स्वास्थ्य लाभ हैं. इसमें मौजूद चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. टैपिओका पर्ल्स आसानी से पचने वाला कार्बोहाइड्रेट हैं. ये तुरंत ऊर्जा देते हैं. लेकिन चीनी की मात्रा पर ध्यान देना जरूरी है. कई दुकानें अब चीनी और दूध की मात्रा चुनने की सुविधा देती हैं. पौधों पर आधारित दूध भी उपलब्ध है. यह इसे और स्वास्थ्यवर्धक बनाता है.
बबल टी को कुछ लोग रोज पीते हैं. कुछ इसे कभी-कभार ट्रीट के रूप में लेते हैं. यह आपकी पसंद और संयम पर निर्भर करता है. कॉफी या मिठाई की तरह इसे संतुलित मात्रा में लेना बेहतर है. बबल टी को अपनी पसंद के अनुसार बनवाया जा सकता है. हल्का ताज़ा स्वाद हो या मलाईदार, विकल्प कई हैं. भारत में बबल टी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. युवा इसे एक स्टाइल स्टेटमेंट मानते हैं. इसकी अनुकूलन योग्य प्रकृति इसे खास बनाती है. हर कप अलग हो सकता है. यह इसे और आकर्षक बनाता है. कैफे और स्टॉल्स पर बबल टी की माँग बढ़ रही है. बबल टी अब सिर्फ पेय नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक है. यह सामाजिक मेलजोल और उत्सव का हिस्सा बन चुकी है. मौसमी स्वाद, पौधों पर आधारित दूध और खाने योग्य जेली इसके नए रूप हैं. बदलते स्वादों के साथ यह और लोकप्रिय होगी. बबल टी एक वैश्विक मूड बन चुकी है.