S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के सीनेट में प्रस्तावित नए बिल को लेकर चिंता जताई है . यह बिल रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने की बात करता है. जयशंकर ने वाशिंगटन में कहा कि भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा की चिंताओं को अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम के साथ साझा किया है. ग्राहम ने इस बिल को प्रायोजित किया है. भारत रूसी तेल का बड़ा खरीदार है. यह बिल भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है.
भारत अपनी ऊर्जा की जरूरतों का लगभग आधा हिस्सा रूसी कच्चे तेल से पूरा करता है. भारत का रूसी तेल आयात मई में1.96 मिलियन बैरल प्रति दिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा. जयशंकर ने कहा कि हमने अपनी ऊर्जा सुरक्षा के हितों को सीनेटर ग्राहम के सामने रखा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अमेरिकी कांग्रेस के घटनाक्रमों पर नजर रखे हुए है.
नया बिल ट्रंप प्रशासन का हिस्सा है, जो रूस को यूक्रेन युद्ध पर बातचीत के लिए मजबूर करना चाहता है. सीनेटर ग्राहम ने भारत और चीन का नाम लेते हुए कहा कि ये देश रूस के 70% तेल खरीदते हैं. अगर यह बिल कानून बनता है, तो भारत से अमेरिका के आयात पर 500% टैरिफ लग सकता है. इससे भारत का निर्यात महंगा हो जाएगा. हालांकि अभी भी दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है. यह समझौता ट्रंप के घोषित 26% टैरिफ से बचाने में मदद कर सकता है. जयशंकर ने कहा कि हम व्यापार समझौते के करीब हैं. इससे टैरिफ का बोझ कम होगा . यह समझौता भारत के लिए राहत की उम्मीद दे रहा है. लेकिन समयसीमा नजदीक आ रही है .
रूसी तेल पर भारत की निर्भरता एक जटिल मुद्दा है. अगर बिल पारित होता है, तो भारत को ऊर्जा और व्यापार दोनों मोर्चों पर नुकसान हो सकता है. जयशंकर ने कहा कि जब समय आएगा, हम इस चुनौती का सामना करेंगे. भारत रूस के साथ अपने व्यापार को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है. साथ ही, अमेरिका के साथ रिश्ते भी बनाए रखना चाहता है. यह बिल भारत-अमेरिका संबंधों के लिए नई चुनौती है. भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा करनी होगी. क्वाड शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने इस मुद्दे को उठाया. भारतीय अधिकारी अमेरिकी नेताओं के साथ बातचीत जारी रखेंगे. व्यापार समझौता इस संकट से बचने का रास्ता हो सकता है. लेकिन इसके लिए दोनों देशों को जल्द सहमति बनानी होगी.