नई दिल्ली: चीनी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया है. चीन की ओर से कहा गया कि भारत और चीन ने सीमा विवाद पर बातचीत की. दोनों देशों की सेनाओं ने पश्चिमी सीमा पर नियंत्रण और प्रबंधन को लेकर गहन चर्चा की है. यह संवाद सक्रिय और उपयोगी रहा.
रॉयटर्स के मुताबिक, चीनी पक्ष ने कहा कि दोनों सेनाएं सैन्य और राजनयिक स्तर पर संपर्क बनाए रखेंगी, यह सहमति महत्वपूर्ण है. भारतीय विदेश मंत्रालय से अभी आधिकारिक बयान नहीं आया है.
भारत-चीन रिश्ते अब सुधर रहे हैं. गलवान झड़प के बाद पांच साल तनाव रहा, जिसके बाद अब धीरे-धीरे दोनों देशों के बीच दोस्ती के हाथ बढ़ रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों में निकटता बढ़ी है. दोनों देश अमेरिका की चेतावनियों और टैरिफ धमकियों के खिलाफ एक हुए. इस साल नई दिल्ली और बीजिंग ने प्रयास तेज किए. दोनों तरफ से सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, संबंधों की नई शुरुआत दिख रही है. इस हफ्ते अच्छी खबर सामने आई है.
भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें बहाल हुईं. इंडिगो की पहली फ्लाइट कोलकाता से ग्वांगझू गई. दोनों देशों ने इसका स्वागत किया. नई दिल्ली में चीनी दूतावास ने बयान जारी करते हुए कहा कि उड़ानों की बहाली राजनयिक संबंधों में मील का पत्थर है. इससे यात्रियों के बीच खुशी हैं. साथ ही यह भी दावा किया गया कि इस यात्रा के शुरू होने से दोनों देशों के व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 में भी शामिल हुए. पीएम मोदी की यह सालों बाद पहली चीन यात्रा थी. इस दौरान सम्मेलन के इतर मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात हुई. इस द्विपक्षीय बातचीत फलदायी रही, नए संबंधों की नींव पड़ी. शी जिनपिंग ने भी भारत-चीन संबंधों की तारीफ की.
उन्होंने ड्रैगन और हाथी को साथ आने का आह्वान किया. यह बयान सकारात्मक संकेत देता है. दोनों देश एशिया की बड़ी ताकतें हैं. दोनों देशों के अच्छे संबंध से व्यापार, निवेश और सुरक्षा में फायदा होगा. अमेरिकी दबाव के बीच भारत-चीन निकटता रणनीतिक है. एससीओ जैसे दोनों देशों को मंच देने में मदद करेंगे. जिससे संबंध मजबूत होंगे तो एशिया मजबूत बनेगा.