India-China Relations: अमेरिका के साथ चल रहे टेंशन के बीच भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा की है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. चीन अब भारत में उर्वरक समेत 3 चीजों के सप्लाई के लिए तैयार हो गया है.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने चीन यात्रा की थी. इस दौरान उन्होंने दोनों देशों ने व्यापार समझौता करने की कोशिश की. माना जा रहा है कि जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री के सामने यूरिया, एनपीके और डीएपी, दुर्लभ मृदा खनिजों और टीबीएम की आपूर्ति का मुद्दा उठाया था, हालांकि सीमा मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई. इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आज विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस पर चर्चा करेंगे.
चीन के विदेश मंत्री वांग आज यानी मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष को बताया कि ताइवान पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत ने भी आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के लिए राजनयिक उपस्थिति बनाए रखी है. उन्होंने बताया कि बातचीत सौहार्दपूर्ण रही, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बैठक में सबसे अहम रहे. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि वाशिंगटन की मौजूदा नीतियों के कारण उन्हें और करीब आने की जरूरत है. आम धारणा यह थी कि अमेरिकी नीतियां और निर्णय भारत और चीन दोनों को निशाना बनाएंगे और अनिश्चितता से निपटने के लिए दोनों पक्षों को बातचीत करनी होगी. तथ्य यह है कि चीन द्वारा उर्वरक, टीबीएम और दुर्लभ मृदा (रेयर अर्थ) की आपूर्ति पर सहमति एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि बीजिंग ने लगभग एक साल तक भारतीय आयात पर रोक लगा रखी थी.
चीन भारत को कृषि के लिए लगभग 30 प्रतिशत उर्वरक, ऑटो पार्ट्स के लिए रेयर अर्थ और सड़क एवं शहरी बुनियादी ढांचे के लिए जरूरी टनल बोरिंग मशीन की आपूर्ति करता है. यद्यपि जयशंकर-वांग बैठक में सीमा वार्ता पर चर्चा नहीं हुई, फिर भी विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस संवेदनशील विषय को उठाएंगे और इस पर गहन चर्चा करेंगे. इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की संख्या कम करना है. हालांकि लद्दाख में सीमा पर गतिरोध और गश्त के मुद्दे सुलझ गए हैं, फिर भी भारतीय और चीनी सेनाएं अभी भी सीमा पर तैनात हैं और इसलिए सैनिकों को वापस बैरकों में भेजने की आवश्यकता है.