दलाई लामा के उत्तराधिकारी मामले में भारत का स्पष्ट संदेश, चीन के दावे को किया खारज

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला केवल तिब्बती आध्यात्मिक नेता के पास है. रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा तिब्बतियों और दुनिया भर के उनके लाखों अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण हैं.

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Courtesy: Social Media

Dalai Lama Successor: भारत ने चीन के उस दावे को मानने से पूरी तरह से इनकार कर दिया है, जिसमें बीजिंग ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी लेनी होगी. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला केवल तिब्बती आध्यात्मिक नेता के पास है. रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा तिब्बतियों और दुनिया भर के उनके लाखों अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण हैं. उनके उत्तराधिकारी का निर्णय सिर्फ दलाई लामा लेंगे. 

रिजिजू और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता लल्लन सिंह धर्मशाला में हैं. वे दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के समारोह में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. रिजिजू ने कहा कि यह पूरी तरह धार्मिक अवसर है. इस मौके पर उन्होंने दलाई लामा की स्वायत्तता पर जोर दिया. भारत ने तिब्बती समुदाय के प्रति अपना समर्थन दोहराया. 

चीन के दखल को खारिज

दलाई लामा ने कहा कि उनकी संस्था उनके जीवनकाल के बाद भी जारी रहेगी. उनके कार्यालय, गादेन फोडरंग ट्रस्ट, ने बुधवार को बयान जारी किया. इसमें कहा गया कि 15वें दलाई लामा को चुनने का अधिकार सिर्फ इस ट्रस्ट के पास है. साथ ही यह भी बताया गया कि 2011 में के बयान में यह प्रक्रिया साफ की गई थी. दलाई लामा ने चीन के इस दावे को मानने से पूरी तरह से इनकार कर दिया है. चीन ने दावा किया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को उसके कानूनों और धार्मिक परंपराओं का पालन करना होगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि उत्तराधिकार चीनी नियमों और ऐतिहासिक सम्मेलनों के तहत होगा. बीजिंग दलाई लामा को अलगाववादी मानता है. वह तिब्बत पर अपना नियंत्रण मजबूत करना चाहता है. 

क्या है पूरा इतिहास?

दलाई लामा 1959 से भारत में हैं. वे चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद ल्हासा से भागे थे. बीजिंग उन्हें तिब्बत को अलग करने वाला मानता है. लेकिन दुनिया भर में दलाई लामा अहिंसा और तिब्बती संस्कृति के संरक्षण के प्रतीक हैं. तिब्बती समुदाय को डर है कि चीन भविष्य में अपना दलाई लामा थोप सकता है.भारत ने हमेशा तिब्बती समुदाय का समर्थन किया है. रिजिजू का बयान इस नीति को दर्शाता है. तिब्बत पर चीन का 1950 में बलपूर्वक कब्जा हुआ था. आलोचकों का कहना है कि चीन का नया दावा तिब्बत पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है. भारत ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति मजबूत की है. दलाई लामा के उत्तराधिकारी का मामला संवेदनशील है. जिससे भारत और चीन के रिश्ते पर भी असर पड़ सकता है. तिब्बती समुदाय और दलाई लामा के अनुयायी भारत के रुख की सराहना कर रहे हैं. यह विवाद वैश्विक मंच पर भी ध्यान खींच रहा है. 

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