Operation Sindoor: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की वजह से पूरे देश में हलचल मची, आज इस घटना के एक महीने पूरे हो गए. इस हमले में आतंकियों ने 26 मासूमों की जान ले ली थी. पहलगाम हमले के बाद दुख और गुस्से के बीच भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए. आतंकवाद को जवाब देने के लिए भारत ने पांच बड़े फैसले लिए.
भारत ने सबसे पहले घटना के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया. यह फैसला पाकिस्तान पर आतंकवाद को रोकने के लिए दबाव बनाने के लिए लिया गया. जल संसाधनों पर नियंत्रण भारत की रणनीतिक ताकत को दर्शाता है.
पहलगाम हमले के खिलाफ एक्शन लेते हुए उसी दिन भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों को निष्कासित कर दिया. इस्लामाबाद से भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाया गया. भारतीय उच्चायोग ने अपने कर्मचारियों की संख्या भी कम कर दी. इसके बाद 27 अप्रैल से भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के सभी वीजा रद्द कर दिए. साथ ही सार्क वीजा छूट योजना पर भी रोक लगाई गई. यह फैसला संभावित खतरों को रोकने और आतंकवाद के प्रति भारत की सख्त नीति को दर्शाने के लिए था.
भारत ने 1 मई को अटारी-वाघा सीमा क्रॉसिंग को बंद कर दिया. यह दोनों देशों के बीच मुख्य व्यापार और यात्रा मार्ग था. इस कदम का मकसद द्विपक्षीय संपर्क को सीमित करना और पाकिस्तान की कथित संलिप्तता पर नाराजगी जताना था. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इस अभियान का लक्ष्य हमले के जिम्मेदार नेटवर्क को नष्ट करना था. नागरिक हताहतों से बचते हुए भारत ने अपनी ताकत दिखाई. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भी भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया. 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों की बातचीत के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी. भारत के इन कदमों ने आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ता को साबित किया. यह देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा का मजबूत संदेश है.
Operation Sindoor: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की वजह से पूरे देश में हलचल मची, आज इस घटना के एक महीने पूरे हो गए. इस हमले में आतंकियों ने 26 मासूमों की जान ले ली थी. पहलगाम हमले के बाद दुख और गुस्से के बीच भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए. आतंकवाद को जवाब देने के लिए भारत ने पांच बड़े फैसले लिए.
भारत ने सबसे पहले घटना के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया. यह फैसला पाकिस्तान पर आतंकवाद को रोकने के लिए दबाव बनाने के लिए लिया गया. जल संसाधनों पर नियंत्रण भारत की रणनीतिक ताकत को दर्शाता है.
पहलगाम हमले के खिलाफ एक्शन लेते हुए उसी दिन भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों को निष्कासित कर दिया. इस्लामाबाद से भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाया गया. भारतीय उच्चायोग ने अपने कर्मचारियों की संख्या भी कम कर दी. इसके बाद 27 अप्रैल से भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के सभी वीजा रद्द कर दिए. साथ ही सार्क वीजा छूट योजना पर भी रोक लगाई गई. यह फैसला संभावित खतरों को रोकने और आतंकवाद के प्रति भारत की सख्त नीति को दर्शाने के लिए था.
भारत ने 1 मई को अटारी-वाघा सीमा क्रॉसिंग को बंद कर दिया. यह दोनों देशों के बीच मुख्य व्यापार और यात्रा मार्ग था. इस कदम का मकसद द्विपक्षीय संपर्क को सीमित करना और पाकिस्तान की कथित संलिप्तता पर नाराजगी जताना था. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इस अभियान का लक्ष्य हमले के जिम्मेदार नेटवर्क को नष्ट करना था. नागरिक हताहतों से बचते हुए भारत ने अपनी ताकत दिखाई. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भी भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया. 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों की बातचीत के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी. भारत के इन कदमों ने आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ता को साबित किया. यह देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा का मजबूत संदेश है.