Malegaon Blast: महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम विस्फोट की चर्चा पूरे देश में हुई. इस धमाके में छह लोगों की जान गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए. करीब 17 साल बाद, गुरुवार को विशेष एनआईए अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया. यह मामला सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव शहर का है, जहां एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में बम विस्फोट हुआ था.
इस मामले में सात आरोपियों पर मुकदमा चला. इनमें पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल हैं. इन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत हत्या, साजिश और आतंकी गतिविधियों के आरोप हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले की जांच की और आरोपियों के लिए सख्त सजा की मांग की. शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जांच शुरू की थी, लेकिन 2011 में यह मामला एनआईए को सौंपा गया. एनआईए ने 2016 में प्रज्ञा ठाकुर और तीन अन्य को क्लीन चिट दी थी, लेकिन अदालत ने ठाकुर को मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया. इस मामले से जुड़ी पांच महत्वपूर्ण बातें, जिसके बारे में जानना जरूरी है.
1. मालेगांव विस्फोट की आरोपी: प्रज्ञा ठाकुर इस मामले की प्रमुख आरोपी हैं. उन पर सांप्रदायिक हिंसा की साजिश रचने का आरोप है. उनकी मोटरसाइकिल का विस्फोट में इस्तेमाल होने का दावा किया गया
2. भोपाल से सांसद: 2019 में ठाकुर ने भोपाल से लोकसभा चुनाव जीता. उन्होंने कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को हराया.
3. बेगुनाही का दावा: ठाकुर ने दावा किया कि उनके खिलाफ झूठे सबूत बनाए गए.
4. विवादास्पद बयान: ठाकुर ने नाथूराम गोडसे को "देशभक्त" कहकर विवाद खड़ा किया था. इसकी उनकी पार्टी ने भी निंदा की.
5. साध्वी और राजनीति: राजनीति में आने से पहले वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी थीं और खुद को साध्वी कहती थीं.