Himachal pradesh Floods: हिमाचल प्रदेश में मानसून ने प्रचंड तबाही मचाई है. 20 जून से शुरू हुए मानसून ने 78 लोगों की जान ले ली. बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया. 37 लोग अभी भी लापता हैं. 115 लोग घायल हुए हैं. मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है. वहां हिमाचल सहकारी बैंक की पहली मंजिल पानी और मलबे में डूब गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके कीमती सामान और दस्तावेज नष्ट हो गए.
मंडी में हालात गंभीर हैं. बाढ़ में बह गए सामानों को लूटने की कोशिशें बढ़ी हैं. स्थानीय लोगों ने चोरी की शिकायतें की हैं. 6 जुलाई तक 23 बाढ़, 19 बादल फटने और 16 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज हुईं. 50 मौतें डूबने, बिजली गिरने और अचानक बाढ़ से हुईं. इसके अलावा 28 लोगों की जान सड़क हादसे में चली गई.
हिमाचल में 243 सड़कें बंद हैं. 278 बिजली ट्रांसफार्मर खराब हैं. 261 जलापूर्ति योजनाएं ठप हैं. मंडी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. वहां सड़कों पर मलबा और भूस्खलन से यातायात रुका हुआ है. मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है. कांगड़ा, सिरमौर और मंडी में रेड अलर्ट जारी है. पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी हालात चिंताजनक हैं. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली में भूस्खलन की चेतावनी दी. उखीमठ, घनसाली, नरेंद्र नगर और चिन्यालीसौड़ में अभी दोनों दिनों के लिए ज्यादा जोखिम का खतरा बताया गया है.
उत्तराखंड में आपातकालीन टीमें हाई अलर्ट पर हैं. पुलिस और आपदा प्रबंधन टीमें तैयार हैं. संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटकों और वाहनों की आवाजाही पर रोक है. अधिकारियों को 48 घंटे तक अपने क्षेत्रों में रहने के निर्देश हैं. फोन और उपकरण चालू रखने को कहा गया है. हिमाचल में भी प्रशासन सक्रिय है. मौसम विभाग ने लोगों से नदियों और नालों से दूर रहने की सलाह दी है. संवेदनशील क्षेत्रों में यात्रा से बचने को कहा गया है. हिमाचल और उत्तराखंड में राहत कार्य जारी हैं. सरकार ने केंद्र से मदद मांगी है. दोनों राज्यों में हालात पर नजर रखी जा रही है.