पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने की तैयारी! जानें MHA ने क्यों दिया 244 जिलों में मॉक ड्रिल का आदेश?

गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक अभ्यास का आयोजन गांव स्तर तक करने की योजना बनाई गई है. मॉक ड्रिल करने का उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा तंत्र की तैयारी का जायजा लेना और उसे बढ़ावा देना  है.

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Courtesy: Social Media

Mock Drills: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बुधवार यानी 7 मई को 244 चिह्नित नागरिक सुरक्षा जिलों में व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया गया. भारत सरकार द्वारा यह कदम वर्तमान में  पाकिस्तान के साथ उभरते नए और जटिल खतरों को देखते हुए उठाया गया है.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में कई उच्च-स्तरीय बैठकों में भारत की जवाबी रणनीति पर चर्चा की थी. जिसके बाद अब मॉक ड्रिल का आदेश दिया गया है.

पाकिस्तान भी कर रहा मिसाइल परीक्षण

भारत सरकार द्वारा यह निर्देश पाकिस्तान द्वारा 'अभ्यास इंडस' के तहत दो दिनों में दूसरा मिसाइल परीक्षण करने के कुछ ही घंटों बाद जारी हुआ. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस परीक्षण को अपनी रक्षा क्षमता का प्रतीक बताया. गृह मंत्रालय के अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड महानिदेशालय ने अपने पत्र में कहा, 'वैश्विक परिदृश्य में उभरते खतरों के कारण सभी राज्यों को हर समय नागरिक सुरक्षा के लिए तैयार रहना होगा.'  

मॉक ड्रिल का उद्देश्य

गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक अभ्यास का आयोजन गांव स्तर तक करने की योजना बनाई गई है. मॉक ड्रिल करने का उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा तंत्र की तैयारी का जायजा लेना और उसे बढ़ावा देना  है. गृह मंत्रालय के आदेश में यह भी कहा गया है कि इस अभ्यास में जिला नियंत्रकों, स्थानीय अधिकारियों, नागरिक सुरक्षा वार्डन, स्वयंसेवकों, होमगार्ड (सक्रिय और रिजर्व दोनों), राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के सदस्यों और कॉलेज और स्कूल के छात्रों की सक्रिय भागीदारी शामिल होने की उम्मीद है. मॉक ड्रिल के प्राथमिक उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली की प्रभावशीलता की जांच. 
  • भारतीय वायु सेना के साथ संचार लिंक का परीक्षण. 
  • नियंत्रण कक्षों और वैकल्पिक नियंत्रण कक्षों की कार्यक्षमता सुनिश्चित करना. 
  • नागरिकों और छात्रों को युद्धकालीन परिस्थितियों में बचाव प्रशिक्षण प्रदान करना. 
  • क्रैश ब्लैकआउट और महत्वपूर्ण स्थानों के छलावरण की व्यवस्था. 
  • वार्डन सेवाओं, अग्निशमन, बचाव कार्यों और डिपो प्रबंधन की तत्परता का आकलन. 
  • निकासी योजनाओं की तैयारी और उनके कार्यान्वयन की समीक्षा.
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