Rahul Gandhi: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 21 जून 2025 को चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता को कठघरे में खड़ा किया. राहुल ने दावा किया कि आयोग जानबूझकर चुनावी डेटा और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट कर रहा है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में उपलब्ध नहीं करा रहा, सीसीटीवी फुटेज को कानून बदलकर छिपाया जा रहा है, और अब चुनावी फोटो-वीडियो को 45 दिनों में ही नष्ट करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने इसे 'मैच फिक्सिंग' करार देते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए जहर है.
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करना मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए जोखिम भरा हो सकता है. आयोग ने 1950 और 1951 के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि वह संवैधानिक दायित्वों का पालन कर रहा है.
गोपनीयता का खतरा
आयोग के अनुसार, फुटेज के सार्वजनिक होने से यह पता चल सकता है कि किसने वोट दिया, जिससे मतदाताओं पर दबाव या धमकी का खतरा बढ़ सकता है. विशेष रूप से, कम वोट पाने वाली पार्टियां फुटेज का दुरुपयोग कर सकती हैं. चुनाव आयोग ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज को 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है, जो याचिका दाखिल करने की कानूनी अवधि है. यदि कोई याचिका नहीं आती, तो डेटा नष्ट कर दिया जाता है ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके.