Rajnath Singh in SCO Meeting: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख को दोहराया और पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा. इस फैसले से भारत ने आतंकवाद के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट कर दिया.
राजनाथ सिंह ने बैठक में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी. उन्होंने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ देश आतंकवाद को अपनी नीति का हथियार बनाते हैं. वे आतंकियों को पनाह और समर्थन देते हैं. सिंह ने स्पष्ट किया कि ऐसे दोहरे रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने पहलगाम हमले को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे आतंकी समूहों से जोड़ा, जो भारत में पहले भी हमले कर चुके हैं.
एससीओ के संयुक्त बयान में पहलगाम हमले का कोई उल्लेख नहीं था. भारत ने इसे आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को कमजोर करने वाला माना. इसके चलते राजनाथ सिंह ने बयान पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया. नतीजतन, एससीओ को अपना घोषणापत्र पूरी तरह वापस लेना पड़ा. यह कदम भारत की कूटनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है. रक्षा मंत्री ने बताया कि पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस ऑपरेशन का मकसद सीमा पार आतंकवाद को रोकना और दुनिया को कड़ा संदेश देना था. सिंह ने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा.
चीन के क़िंगदाओ शहर में दो दिवसीय एससीओ बैठक में कई देश के रक्षा मंत्री हिस्सा लेने पहुंचे हैं. इस साल चीन की अध्यक्षता में बैठक का थीम था, 'शंघाई भावना को बनाए रखना: एससीओ आगे बढ़ रहा है.' एजेंडे में सीमा सुरक्षा, क्षेत्रीय रक्षा सहयोग और आतंकवाद विरोधी प्रयास प्रमुख थे. राजनाथ सिंह चीन और रूस के द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं. ये चर्चाएं क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ाने में अहम हो सकती हैं. राजनाथ सिंह ने बैठक में साफ कहा कि एससीओ को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. जो देश आतंकियों को पनाह देते हैं, उनकी निंदा में कोई संकोच नहीं होना चाहिए. भारत के इस कदम ने वैश्विक मंच पर उसकी मजबूत स्थिति को रेखांकित किया.