Shubhanshu Shukla: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए, एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भर ली है. बुधवार को दोपहर 12:01 बजे (IST) स्पेसएक्स का ड्रैगन यान फाल्कन-9 रॉकेट के साथ लॉन्च हुआ. शुक्ला चार दशक बाद अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय हैं. उनसे पहले राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष गए थे.
एक्सिओम-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए खास है. यह मिशन नासा, इसरो और एक्सिओम स्पेस का संयुक्त प्रयास है. शुक्ला मिशन पायलट हैं. उनके साथ कमांडर पैगी व्हिटसन (अमेरिका), स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) हैं. यह मिशन 14 दिन का है. जो की शुभांशु को गगनयान मिशन के लिए अनुभव देगा.
लॉन्च में कई देरी हुई, मौसम और तकनीकी समस्याएं आड़े आईं. मई में तय लॉन्च जून तक टल गया. फाल्कन-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन रिसाव मिला. अब सभी दिक्कतें दूर हो गईं, लॉन्च समय पर हुआ. यान 26 जून को शाम 4:30 बजे (IST) आईएसएस से जुड़ेगा. शुक्ला आईएसएस पर सात भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. इनमें बीज अंकुरण, टार्डिग्रेड्स की जीवटता, मांसपेशियों का उत्थान और संज्ञानात्मक प्रदर्शन का अध्ययन शामिल है. ये प्रयोग गगनयान मिशन के लिए जरूरी हैं.
शुक्ला अंतरिक्ष से पीएम मोदी और स्कूली बच्चों से बात करेंगे. वह भारतीय खाने जैसे आमरस और मूंग दाल हलवा भी ले गए हैं. लखनऊ में जन्मे शुक्ला ने लॉन्च से पहले कहा कि यह मिशन युवाओं को प्रेरित करेगा. मैं बच्चों में जिज्ञासा जगाना चाहता हूं. अगर मेरी कहानी किसी की जिंदगी बदल दे, तो यह मेरी सफलता होगी. उन्होंने बताया कि मिशन की खबर मिलने पर वह बहुत उत्साहित थे. शुक्ला ने कहा कि यह मेरे लिए सपना सच होने जैसा है.
शुभांशु शुक्ला 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने दो हजार घंटे की उड़ान भरी है. उनके अनुभव के आधार पर इसरो ने उन्हें गगनयान मिशन के लिए चुना है. उन्होंने रूस और भारत में प्रशिक्षण लिया. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाई देगा. गगनयान मिशन 2027 में होगा. शुक्ला का अनुभव इसमें मदद करेगा. भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाएगा. 2040 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने का लक्ष्य है. इसरो के वैज्ञानिक इसे मील का पत्थर मानते हैं.