उपराष्ट्रपति पद के लिए इंडिया ब्लॉक का नाम तय, बी सुदर्शन रेड्डी देंगे सीपी कृष्णन को टक्कर

उपराष्ट्रपति पद के लिए इंडिया गठबंधन ने अपने उम्मीदवार का नाम फाइनल कर लिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज इंडिया गठबंधन की ओर से नाम का ऐलान किया है. विपक्षी गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम फाइनल किया है.

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Courtesy: Social Media

Vice President Election: उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन ने भी अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज यानी मंगलवार को घोषणा की है कि विपक्षी गठबंधन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम फाइनल किया गया है. 

बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 1946 में तेलंगाना में हुआ था. उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा दी है. इसके अलावा 2007 से 2011 तक उन्होंनेे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भी अपना योगदान दिया है. 

कांग्रेस अध्यक्ष ने की घोषणा

एनडीए गठबंधन की ओर से रविवार को सीपी कृष्णन का नाम तय किया गया था. राधाकृष्णन पार्टी की तमिलनाडु इकाई के पूर्व अध्यक्ष और आरएसएस के वरिष्ठ नेता हैं. NDA द्वारा इस नाम की घोषणा के बाद से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि विपक्षी गठबंधन भी साउथ से ही किसी सांसद का नाम तय करेगी. हालांकि इंडिया ब्लॉक ने अपने घोषणा से सबको चौंका दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नाम की घोषणा करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति पद का चुनाव एक वैचारिक लड़ाई है, और सभी विपक्षी दल इस पर सहमत हैं. 

कौन हैं बी सुदर्शन रेड्डी?

बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को तेलंगाना में हुआ था. इसके बाद वे 27 दिसंबर 1971 को हैदराबाद में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए. फिर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में ही उन्होंने रिट और सिविल मामलों की प्रैक्टिस की. इसके बाद हाई कोर्ट के वकील के रूप में काम किया. 1990 में उन्हें छह महीने के लिए केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी काम करने का मौका मिला. फिर उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय के लिए कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के रूप में काम किया. वहीं1995 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. फिर 2007 से 2011 के बीच सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा दी. 

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