लोकसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया इस्तीफा, अखिलेश को लेकर कह डाली ये बात

Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस बीच उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा देने का कारण बताया है.

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हाइलाइट्स

  • लोकसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया इस्तीफा
  • अखिलेश को लेकर कह डाली ये बात

Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि वह बिना पद के पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयानों के कारण हमेशा विवादों से घिरे हुए रहते हैं. इस बीच उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा देने का कारण बताया है. बता दें कि हाल ही में मौर्य ने रामचरितमानस पर एक विवादित बयान दिया था, जिसके लिए उनका पार्टी के अंदर और बाहर से जमकर विरोध हुआ था. हालांकि सपा ने मौर्य के टिप्पणी से दूरी बना ली थी.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे की जानकारी दी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नाम लिखे गए पत्र में पूर्व मंत्री ने कहा कि जब से मैं समाजवादी पार्टी का हिस्सा बना हूं, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. उन्होंने आगे कहा कि सपा में आने के दिन से ही मैंने नारा दिया था "पच्चीस तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है." हमारे महापुरुषों ने इसी तरह की लाइन खींची थी. 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा को दिलाई महापुरुषों की याद 

अखिलेश यादव को लिखे अपने पत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने महापुरुषों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि  भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय की बात की थी. इसके साथी ही डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि  सोशलिस्टो ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै सौ में साठ", शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा व मा. राम स्वरूप वर्मा जी ने कहा था "सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है", इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक काशीराम साहब का भी वही नारा था "85 बनाम का." लेकिन पार्टी ने लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने की कोशिश की. 

बिना पद के भी पार्टी को सशक्त बनाऊंगा

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने में तत्पर रहूंगा. उन्होंने आगे कहा कि, 'बिना पद के पार्टी के सशक्त बनाने में तत्पर रहूंगा कि बीते कई वर्षों से पार्टी को लेकर आदिवासियों दलितों पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ बढ़ा है. बढ़ा हुआ जन आधार पार्टी और जन आधार बनाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है लेकिन मेरे ऊपर बार-बार निजी बयान देने और पार्टी के विरोधी कार्यो में लिप्त होने की जा रही है.'