Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति न बनने के बावजूद कांग्रेस ने बुधवार रात अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी. पार्टी ने 16 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. यह घोषणा नामांकन की अंतिम तारीख से कुछ दिन पहले हुई है.
कांग्रेस ने औरंगाबाद से आनंद शंकर सिंह, राजापाकड़ से प्रतिमा दास, बछवाड़ा से शिव प्रकाश गरीब दास, बाराबीघा से त्रिशूलधारी सिंह, नालंदा से कौशलेंद्र कुमार, वजीरगंज से शशि शेखर सिंह, कुटुम्बा से राजेश राम और बेगूसराय से अमिता भूषण को टिकट दिया है. इसके अलावा, अमरपुर से जितेंद्र सिंह, गोपालगंज से ओम प्रकाश गर्ग, मुजफ्फरपुर से विजेंद्र चौधरी, गोविंदगंज से शशि भूषण राय, रोसड़ा से बीके रवि, लखीसराय से अमरेश कुमार, सुल्तानगंज से ललन कुमार और बिक्रम से अनिल कुमार को मैदान में उतारा गया है.
कुटुम्बा से उम्मीदवार राजेश राम ने कांग्रेस नेतृत्व का आभार जताया है. एक X पोस्ट में उन्होंने कहा कि कुटुम्बा मेरे लिए सिर्फ़ एक क्षेत्र नहीं, बल्कि मेरा परिवार है. हर सुख-दुख में कुटुम्बा के लोग मेरे साथ खड़े रहे हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि महागठबंधन इस बार बिहार में सरकार बनाएगा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को सत्ता से बाहर करेगा. राजेश राम ने कहा कि यह चुनाव मैं अकेले नहीं, बल्कि पूरा कुटुम्बा एकजुट होकर लड़ेगा. कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा तो कर दी, लेकिन महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) छोटे सहयोगी दलों को ज्यादा सीटें देने से हिचक रहा है. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने 70 सीटों की मांग की है, लेकिन RJD ने 2020 के चुनावों में कांग्रेस की कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए केवल 52-55 सीटें देने की पेशकश की है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 19 सीटें ही जीत पाई थी. इस बार भी सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में खींचतान जारी है.
बिहार चुनाव को दो चरणों में बाटा गया है. पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा. मतगणना 14 नवंबर को होगी. जैसे-जैसे नामांकन की तारीख नजदीक आ रही है, सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. बिहार की सियासत में इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. महागठबंधन जहां NDA को सत्ता से हटाने की रणनीति बना रहा है, वहीं NDA भी अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटा है. कांग्रेस की उम्मीदवारों की पहली सूची ने महागठबंधन के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा है, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति न बनने से गठबंधन की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं.