Kantara Chapter 1 Daiva Controversy: ऋषभ शेट्टी की बहुप्रतीक्षित फिल्म कांतारा चैप्टर 1 (Kantara Chapter 1) ने सिनेमाघरों में धमाकेदार प्रदर्शन किया है. रिलीज के बाद से ही फिल्म का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है. 16 दिन के भीतर यह फिल्म 725 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह 1000 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली साल 2025 की पहली फिल्म बन सकती है.
जहां एक ओर फिल्म की टीम इस अपार सफलता से बेहद खुश है, वहीं दूसरी ओर निर्देशक और अभिनेता ऋषभ शेट्टी (Rishab Shetty) ने अपनी गहरी मायूसी भी जाहिर की है. दरअसल, हाल ही में सोशल मीडिया पर दैव पूजा (Daiva Ritual) के दृश्यों की नकल करते हुए कई यूजर्स रील्स और वीडियोज़ बना रहे हैं. इन रील्स में लोग फिल्म के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं का मजाक उड़ाते दिखाई दे रहे हैं, जिससे ऋषभ शेट्टी और उनकी टीम बेहद आहत हैं.
ऋषभ शेट्टी ने जताई नाराज़गी
ऋषभ शेट्टी ने कहा, “जब हम भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस करते हैं, तब दैव पूजा को देखना एक अलग ही अनुभव होता है. यह आत्मा और श्रद्धा का प्रतीक है, जिसे हम ‘आवाहन’ कहते हैं. इस दौरान व्यक्ति अपने बाहरी व्यक्तित्व को भूलकर एक दिव्य स्थिति में होता है. लेकिन आजकल जो लोग दैव पूजा की मिमिक्री करते हुए रील्स बना रहे हैं, उसे देखकर बहुत दुख होता है. यह हमारी संस्कृति और भावनाओं का अपमान है.”
उन्होंने आगे कहा कि कांतारा में दिखाए गए दैव पात्र किसी मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि परंपरा और आस्था के प्रतीक हैं. ऋषभ ने कहा, “मैं देवों में विश्वास करता हूं, वे हमारे घर के हैं, हम उनकी पूजा करते हैं. उनकी नकल या मिमिक्री देखकर हमारे मन को ठेस पहुंचती है."
‘दैव’ को मनोरंजन नहीं, श्रद्धा से देखें
फिल्म के निर्माताओं ने भी एक बयान जारी कर दर्शकों से अपील की है. उन्होंने लिखा, “कांतारा को मिल रहा प्यार और सम्मान देखकर हम आभारी हैं. लेकिन हमें पता चला है कि कई लोग दैव के किरदार की नकल उतार रहे हैं और सार्वजनिक जगहों पर अनुचित व्यवहार कर रहे हैं. फिल्म में दिखाई गई दैव पूजा गहराई से लोगों की भावनाओं और परंपराओं से जुड़ी है. इसे मिमिक्री या कॉमेडी का रूप देना उचित नहीं है.”
कांतारा चैप्टर 1 की सफलता ने भारतीय सिनेमा में लोककथाओं और संस्कृति आधारित फिल्मों की लोकप्रियता को नई ऊंचाई दी है. लेकिन इसके साथ ही यह भी साबित हुआ है कि धार्मिक और सांस्कृतिक विषयों को समझने और सम्मान देने की जिम्मेदारी दर्शकों पर भी उतनी ही है जितनी फिल्म निर्माताओं पर.